प्रदीप शर्मा/भिंड:  वैसे तो भिंड जिला अस्पताल लगातार कई सालो तक कायाकल्प अवार्ड में प्रथम स्थान पाने के बाद लगातार सुर्खियों में रहा है, लेकिन इस बार सीमित संसाधनों के बाबजूद एक महिला के गर्भाशय का सफल ऑपरेशन के बाद सुर्खियों में है. खास बात यह है कि जिला अस्पताल में लम्बे समय से बच्चेदानी सम्बंधित रोगों के आपरेशन संसाधनों के अभाव में बन्द थे. जिला अस्पताल में इस प्रकार का मेजर ऑपरेशन तकरीबन 20 वर्ष बाद हुआ है.


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दरअसल भिंड जिले के मेहगांव इलाक़े की रहने वाली 40 वर्षीय छाया नामक महिला बच्चेदानी में गठान होने की वजह से होने वाले दर्द से परेशान थी.  महिला को मासिक धर्म संबंधी समस्या भी बनी हुई थी. जब पिछले महीने वो महिला उपचार कराने आई तो यहां गायनोलॉजिस्ट द्वारा चेक किए जाने के बाद गर्भाशय में गांठ होना बताया. आपको बता दें कि गर्भाशय से गांठ संबंधी बीमारी के आने वाले मरीजों को ग्वालियर रेफर किया जाता था. लेकिन जो पहले नहीं हुआ वो अब हो गया.


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दो दशक बाद अस्पताल
महिला ने उपचार के लिए उसने भिंड अस्पताल में डॉ रश्मि गुप्ता से सलाह ली. उसके बाद सिविल सर्जन की सलाह पर अस्पताल में ही हिस्ट्रोक्टमी ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन की खास बात ये रही कि दो दशक बाद इस तरीके से गर्भाशय का सफलतम ऑपरेशन किया गया है. जिससे मरीज की आर्थिक बचत तो हुई ही साथ में अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों का हौसला भी बढ़ा है.


हौसला अफजाई से मिली सफलता
वहीं सिविल सर्जन डॉ अनिल गोयल ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला अस्पताल में बच्चेदानी के ऑपेरशन लगभग दो दशक से बन्द थे, लेकिन इस बार डॉक्टरों की हौसला अफजाई कर लेबर रूम प्रभारी डॉ रश्मि गुप्ता, गायनोलॉजिस्ट, डॉ बबीता अहिरवार के द्वारा सफल ऑपरेशन कर मरीज को लाभ दिया गया है और आगे भी इस तरह से मरीजों को लाभ दिया जाएगा.