हस्तशिल्प का खजाना है MP का ये गांव! विदेशी भी हैं दीवाने, जानिए आखिर क्या है यहां खास
MP News: बैतूल जिले का टिगरिया गांव अपनी अनूठी हस्तकला कला, खासकर भरेवा कला के लिए जाना जाता है. इस गांव में बनने वाले हस्तशिल्प देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी लोकप्रिय हैं. आइए जानते हैं इस गांव में और क्या खास है.
Tigaria village of Betul: मध्य प्रदेश में आपको कई ऐसे गांव मिल जाएंगे जो अपनी पुरातात्विक संस्कृति के लिए जाने जाते हैं. ऐसा ही एक गांव बैतूल जिले में है जहां इन दिनों प्राचीन कलाकृतियों और उन्हें बनाने की लुप्त होती पद्धति को सहेजने में लगा हुआ है. खास बात यह है कि यहां बनने वाले हस्तशिल्प देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूम मचा रहे हैं. भरेवा जनजाति की इस कला को सीखने के लिए देशभर से छात्रों की भीड़ लगी रहती है.
क्राफ्ट विलेज के नाम से मशहूर
यह गांव बैतूल जिले का टिगरिया गांव है, जिसे क्राफ्ट विलेज के नाम से भी जाना जाता है. इस गांव को यह सम्मान भरेवा शिल्प की वजह से मिला है और इन दिनों गुजरात,आंध्र प्रदेश और राजस्थान के प्रोडक्ट डिजाइनिंग के छात्र टिगरिया में भरेवा शिल्प सीख रहे हैं. इस दुर्लभ शिल्प को बनाने में बहुत समय और मेहनत लगती है. इस शिल्प को दुनिया में पहचान दिलाने के पीछे सबसे बड़ा नाम बलदेव बाघमारे का है, जिनका परिवार पारंपरिक रूप से इस भरेवा शिल्प से जुड़ा हुआ है और उन्हीं की वजह से यह कला आज भी जीवित है.
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छात्र भी इस कला में दिखा रहे रुची
पिछले कुछ सालों में बैतूल के भरेवा शिल्पकला से बने बेलमेटल उत्पाद देश-विदेश तक पहुंच चुके हैं, जिसके चलते भारत के विभिन्न राज्यों से प्रोडक्ट डिजाइनिंग और फाइन आर्ट्स के छात्र अब इस कला को सीखने में रुचि दिखा रहे हैं. इसे सीखना छात्रों के लिए एक रोमांचक अनुभव है.
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रोजगार का अवसर
वास्तु टिप्स में भी घर में बेल मेटल की वस्तुएं रखना अच्छा माना जाता है और क्राफ्ट विलेज टिगरिया में बेल मेटल की वस्तुएं आमतौर पर आदिवासी संस्कृति को दर्शाती हैं. जिसके कारण इनकी भारी मांग है. इस कला के चलते टिगरिया और आसपास के गांवों के भरेवा समुदाय को रोजगार मिल रहा है. अब तकनीक में कुशल युवा पीढ़ी और पारंपरिक कारीगर मिलकर इस कला को दुनिया भर में फैलाने के लिए आगे आ रहे हैं.