नई दिल्ली: हिंदू धर्म में पितरों को देवता स्वरुप माना गया है. पितृ पक्ष में पूरी श्रद्धा के साथ श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वो अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. लेकिन पितृ पक्ष के अलावा भी पितरों को याद करना और उन्हें पूरा सम्मान देना आश्यक है. क्यों कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन घरों में देवता समान पितरों को पूजा जाता है उनके घर में सुख समृद्धि और शान्ति बनी रहती है. परन्तु पितरों की नाराजगी को अशुभ माना गया है. पितरों के नाराज होने से घर-परिवार में किसी न किसी कारण झगड़ा होता है. परिवार के सदस्यों में मनमुटाव बना रहता है. घर में अशांति का वातावरण बना रहता है. तो आइए जानते हैं वो कौनसे संकेत हैं जिनसे पता चलता है कि पितर देव नाराज चल रह हैं.


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बिना कारण घर में दुर्गंध आना
घर में से दुर्गंध आना यह एक बड़ा संकेत है कि आपके पितर देव आपसे नाराज हैं. कुछ लोगों के घर से बिना कारण दुर्गंध आती है, लेकिन कहां से आ रही है ये पता नहीं चलता. कुछ समय बाद घर के सदस्यों को दुर्गंध आना ही बंद हो जाती है, लेकिन बाहर के लोगों को यह दुर्गंध आती रहती है. ऐसे में इस स्थिति को भी पितृदोष के लक्षण में माना गया है.


घर में पीपल का उगना
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर में बेवजह पीपल का उगना पितृ दोष की निशानी मानी जाती है. यह इस बात का संकेत देते हैं कि आपके पितर देव आपसे नाराज हैं. ऐसे में आप कोई त्यौहार या कोई उत्सव मना रहे हैं कि तभी ऐसा कुछ घटित हो जिससे परिवार की खूशी चंद सेकेंड में गायब हो जाती है. इस स्थिति में सोमवार को पीपल को जड़ सहित उखाड़कर नदी में बहा दें. साथ ही अमावस्या के दिन गरीबों को दान दें. कोशिश करें कि तो गरीब बच्चों को कपड़े दान में दें. 


सपने में बार-बार पूर्वजों का दिखना
अगर आपको अपने सपने में बार-बार पूर्वज दिखाई दे रहे हैं या सपने में आकर पूर्वज किसी बात का इशारा कर रहे हैं तो यह संभव है कि आपके पितर देव आपसे नाराज चल रहे हैं. घर के सदस्यों को प्रॉपर्टी खरीदने में, संतान प्राप्ति में समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा परिवार के किसी एक ही सदस्य के खाने में बाल निकलता है तो तुरंत सतर्क हो जाएं, क्योंकि इसे पितृदोष के लक्षण के रूप में माना जाता है.


पितरों को खूश रखने के तरीके
पितरों की शांति के लिए पिंड दान,विष्णु मन्त्रों का जाप, सर्प पूजा, ब्राह्मण को गौ-दान सहित कन्या -दान, कुआं, बावड़ी, तालाब आदि बनवाना, मंदिर परिसर में पीपल, लगवाना और श्रीमद्द्भागवत कथा का पाठ करवाना चाहिए .इसके अलावा यह भी जरुरी है कि कुंडली में जिस भी प्रकार का पितृ दोष है उस पितृ दोष के प्रकार के हिसाब से पितृदोष शांति करवाना चाहिए.