राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: बाबा महाकाल मंदिर (Baba Mahakal mandir) परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है. इस दौरान मंगलवार को पशुपतिनाथ (Pashupatinath) कहे जाने वाले भगवान शिव के आंगन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जहां मंदिर परिसर में मरे हुए कुत्ते को जलाया जा रहा है. अब इसे लेकर लोगों में तो गुस्सा है ही साथ ही अब कार्रवाई का आदेश भी कुत्ते (burn dog in mandir) को जलाने वाले मिस्त्री और मजदूरों पर करने को दिया है.


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दरअसल वीडियो में कुत्ता जला हुआ लकड़ियों के बीच पड़ा दिखाई दे रहा है. मामले में मंदिर प्रशासक संदीप सोनी का कहना हैं कि जिसने भी कृत्य किया है. उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. मेरे संज्ञान में ये मामला नहीं था लेकिन इसकी पुष्टि है कि वीडियो मंदिर परिसर क्षेत्र का ही है.


वहीं ठेकेदार अरविंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर के चल रहे विस्तारीकरण कार्यो के बीच कार्यरत कुछ (हैवान) मिस्त्री व मजदूरों द्वारा ये कृत्य किया गया है. मैं छुट्टी पर था मुझे जैसे ही जानकारी लगी मैंने उक्त मिस्त्री मजदूर को फटकार लगाई है.


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जलस्तंभ के सामने जलाया कुत्ता
दरअसल वीडियो में दिखाई पड़ रहा जले हुए कुत्ते का हृदय विदारक दृश्य मंदिर के शिखर के सामने हाल ही में बनाये गए जलस्तम्भ के पास का बताया जा रहा है. मामले में ठेकेदार अरविंद शर्मा ने मिस्त्री व मजदूरों पर आरोप लगाते हुए उनके द्वारा कृत्य करने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि कुत्ता काफी समय से मृत पड़ा हुआ था. बदबू के कारण उसे कुछ मजदूरों मिस्त्री ने जला दिया. मंदिर क्षेत्र में जलाने पर मैंने उन्हें डांट फटकार लगाई है.


अब देखना होगा कितनी जल्दी मामले में कार्रवाई होती है. क्योंकि मामले में अब तक कोई कार्रवाई देखने को नहीं मिली है. पूर्व में भी मंदिर से कई अव्यवस्थाओं के मामले सामने आ चुके हैं. बावजूद सुध लेने वाला कोई नहीं है. जब कुछ होता है तो तभी जिम्मेदार जागते है.


शिव को पशुपतिनाथ क्यों कहा जाता है?
धार्मिक मान्यताओं अनुसार चूंकि भगवान शिव इंसानों के साथ-साथ पशुओं व सभी जीव और वनस्पतियों के भी स्वामी हैं. यही कारण है शिव जी को पशुपतिनाथ के नाम से भी जाना जाता है. शिव जी के प्रमुख प्रख्यात शिव के नामों में से एक पशुपति भी हैं. अगर पशुपति का विच्छेद किया जाए तो इसका अर्थ है पशु का पति यानि पशुओं का पालनकर्ता कहते है. भगवान शिव चारों दिशाओं में कई रूपों में विद्यमान हैं और उन्ही के आंगन में ऐसा कृत्य जिम्मेवारों की लापरवाही पर सवाल खड़े करता है.