Valentine Day Special: भारतीय इतिहास की ऐसी अमर प्रेम कहानी, जो आज भी जिंदा है!
वैलेंटाइन वीक के अवसर पर हम आपको बताने जा रहें है ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर और गुजरी रानी मृगनयनी की प्रेम कहानी, जो दुनिया की मशहूर प्रेमकथाओं में शुमार है.
देवेश मिश्रा/ग्वालियरः फरवरी महीने का दूसरा सप्ताह, जिसे वैलेंटाइन वीक के नाम से जाना जाता है, इस सप्ताह आशिक अपने प्यार का इजहार करते है. हमारा इतिहास भी ऐतिहासिक प्रेम कहानियों से भरा पड़ा है. ऐसे में वैलेंटाइन वीक के अवसर पर हम आपको बताने जा रहें है ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर और गुजरी रानी मृगनयनी की प्रेम कहानी, जो दुनिया की मशहूर प्रेमकथाओं में शुमार है. आज साढ़े पांच सौ साल बाद भी ये प्रेमकथा अमर है. यह प्रेमकथा 1486 में तोमर वंश के राजा मानसिंह के ग्वालियर किले की तलहटी में बने गुजरी महल की है.
राजा मान सिंह ने प्रेम का इजहार करते हुए रखा शादी का प्रस्ताव
एक दिन राजा मान सिंह ग्वालियर से करीब 25 किलोमीटर दूर राई गांव के जंगल में शिकार करने गए थे. उस दौरान रास्ते में दो बड़े जानवर लड़ रहे थे तभी एक सुंदर सी युवती ने दोनों जानवरों को पकड़कर अलग कर दिया. राजा मानसिंह ये नजारा देख रहे थे. सुंदर और ताकतवर युवती को देख राजा मानसिंह ने आकर्षित होकर उसे अपनी रानी बनाने की ठान ली.
राजा मानसिंह ने युवती से पूछा तो उसने अपना नाम निन्नी गुजरी बताया. राजा ने उसके सामने प्रेम का इजहार करते हुए शादी का प्रस्ताव रखा. निन्नी ने राजा का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए तीन शर्तें रखी. पहली शर्त थी कि निन्नी के लिए राजा मानसिंह को नया महल बनाना पड़ेगा क्योंकि वो दूसरी रानियों के साथ महल में नहीं रहेंगी, दूसरी शर्त थी कि निन्नी राई गांव का ही पानी इस्तेमाल करेगी और तीसरी शर्त थी कि युद्ध के दौरान निन्नी हमेशा राजा के साथ रहेगी. राजा मानसिंह ने निन्नी की सभी शर्ते मान ली. ग्वालियर रियासत के राजपूत शासक मानसिंह तोमर को तोमर राजवंश का महान राजा माना जाता है.
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रानी मृगनयनी के प्रेम की निशानी है गुजरी महल
राजा ने निन्नी की सुंदर आंखों के चलते उसे मृगनयनी नाम दिया. राजा मानसिंह ने निन्नी की सभी शर्ते स्वीकार करने के बाद किले पर रानी के लिए अलग महल बनाने का विचार किया, लेकिन किले पर राई गांव का पानी चढ़ाना मुश्किल था, इसलिए उस दौर के देशी इंजीनियरों ने राजा को किला तलहटी में महल बनाने का सुझाव दिया. जिसके बाद तिलहटी में रानी मृगनयनी के लिए किले की तरह आलीशान गुजरी महल बनाया गया.
जहां पाइप के जरिए राई गांव से पानी लाने का इंतजाम किया गया. ऐसा माना जाता है कि 1486 से 1516 के बीच ये महल बनकर तैयार हुआ जो आज पांच सौ साल बाद भी दुनिया की सबसे प्रमुख प्रेम कथा की निशानी के तौर पर खड़ा है.
स्थापत्य शैली के जानकार थे राजा मान सिंह
राजा मानसिंह तोमर महान योद्धा होने के साथ ही न्यायप्रिय, संगीतप्रिय शासक माने जाते थे. वे स्थापत्य शैली के जानकार भी थे. यही वजह है कि मानसिंह के शासन काल में स्थापत्य कला , संगीत, साहित्य, व्यापार के क्षेत्र में काफी काम हुए. जिसके चलते राजा मानसिंह के शासनकाल को ग्वालियर के इतिहास का 'स्वर्ण युग' कहा जाता है. राजा मान सिंह के प्रेम की निशानी गुजरी महल को आज की पीढियां दूर-दूर से देखने के लिए आती हैं.
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