Vidisha: मां ज्वाला देवी 1 दिन में बदलती हैं तीन रूप, शाम को कन्या रूप में आती हैं नजर
Navratri 2022: मध्य प्रदेश के विदिशा में मां दुर्गा का ऐसा मंदिर है जहां दुर्गा मां की प्रतिमा दिन में तीन बार रूप बदलती नजर आती हैं. सुबह, शाम और रात को दुर्गा प्रतिमा युवा, बुजुर्ग और कन्या रूप में दिखाई देती हैं.
दीपेश शाह/विदिशा: मध्य प्रदेश के विदिशा में प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर के नाम से दुर्गा नगर बसा और इस मंदिर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिवार सहित कई मंत्री नेता अधिकारियों की ज्योत जल रही है. मुस्लिम जागीरदार ने इस मंदिर को दान में जमीन थी. फिर यहां मंदिर का निर्माण हुआ था. घी, तेल की बरसों से यहां ज्योत जल रही है. देश-विदेशों के लोगों ने भी इस मंदिर में ज्योते जला रखी हैं.
दान में मिली थी ये जमीन
दुर्गा नगर में कभी पूरा जंगल था. जीवाजी राव सिंधिया ने इस जमीन को दरगाह के लिए जमीन दान में दी थी और इसके बाद मुस्लिम समाज के शरीफ जागीरदार ने दुर्गा मंदिर के निर्माण हेतु यह जमीन दान में दी थी. पूर्व यूपी सांसद स्वर्गीय मुनव्वर चौधरी सलीम भी यहां पर चुनरी चढ़ाने आते थे.
सपने में दिखी थीं दुर्गे मां
यह जगह हाजी वाली तालाब के नाम से फेमस है. 1957 में मां दुर्गे ने प्रभु दयाल चतुर्वेदी को सपना में कहा के इस मंदिर में मां दुर्गे की प्राण प्रतिष्ठा कराओ. मुस्लिम समाज के शरीफ जागीरदार ने इस मंदिर के लिए दान स्वरूप जमीन दी और इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई. तब उन्होंने चांदी का सिक्का भेंट किया जो उस जमीन में प्राण-प्रतिष्ठा के समय जमीन में रखा जाता है.
देश-विदेश के लोगों की आस्था का केंद्र है ये मंदिर
पंडित रामेश्वर दयाल चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि इनके पिता स्वर्गीय प्रभु दयाल चतुर्वेदी प्राण-प्रतिष्ठा कर इसके बाद सेवा निरंतर करते रहे और इस मंदिर का नाम दुर्गा मंदिर रखा. इस के बाद यह पूरा जगह दुर्गा नगर के नाम से फेमस हुई. आज भी इस दुर्गानगर को शहर विदिशा जिले के अलावा देश, विदेशों में भी जाना जाता है. ज्वाला देवी शक्तिपीठ का यह मंदिर यहां लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. इसमें 1980 में जोत की परंपरा शुरू की गई थी जो आज विशाल रूप ले चुकी है.
दिन में तीन बार बदलता है रूप
ज्वाला देवी शक्तिपीठ में मां दिन में तीन रूप बदलती हैंं. रात 8:00 बजे से 12:00 बजे तक 35 वर्ष की आयु और दोपहर 12 से 4 बजे में बुजुर्ग का रूप लेती हैं. शाम 4:00 से 8:00 बजे में कन्या का रूप लेती हैं निरंतर ऐसे दर्शन करते आ रहे महंत रामेश्वर दयाल ने बताया कि इस मंदिर में लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
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