मनोज जैन/शाजापुर: एमपी के शाजापुर जिले में कालापीपल तहसील मुख्यालय से महज 9 किमी दूर ग्राम ग्राम देवराखेड़ी में बारिश के दिनों में ग्रामीणों को रस्सी के सहारे जान जोखिम में डालकर नाले को पार करना पड़ता है. स्कूली बच्चे भी अपना भविष्य संवारने के लिए इस नाले को पार करके स्कूल जाते हैं.  इन तस्वीरों को देखकर आप भी विचलित हो सकते हैं. किस तरह से रस्सी के सहारे नाले को पार किया जा रहा है.  


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मूलभूत सुव‍िधाओं से वंच‍ित है गांव 
ग्राम पंचायत आलनिया के अंतर्गत आने वाले इस गांव देवराखेड़ी में लगभग 200 लोगों की आबादी है लेकिन आज तक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है और बिजली भी 8 से 10 घंटे ही मिल पाती है. ग्राम आलनिया से देवराखेड़ी पहुंचने वाले मार्ग की दूरी 2.5 किलोमीटर है लेकिन यह दूरी तय करना किसी जद्दोजहद से कम नहीं. गांव के बच्चे व ग्रामीणजनों को कीचड़ भरे रास्तों से गुजरना पड़ता है और उसके बाद गांव के समीप ही पड़ने वाले नाले से जान जोखिम में डालकर जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ते हुए रस्सी के सहारे निकलना पड़ता है. 


रस्सी के सहारे पीठ पर सवार करके कराते हैं नाला पार 


ग्रामीण बच्चों और बुजुर्गों को रस्सी के सहारे पीठ पर सवार करके नाला पार कराते हैं. जब अधिक बारिश होती है तो कई दिनों तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. आवश्यक सामान की खरीदी के लिए ग्रामीणों को गांव से बाहर जाने के लिए भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. 


मरीज को खटिया पर ल‍िटा कर ले जाते हैं हॉस्‍प‍िटल 
ग्रामीणों ने बताया क‍ि गांव में जब भी कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उस मरीज को खटिया पर ल‍िटा कर ले जाना पड़ता है. गर्भवती महिला को पहले ही गांव से बाहर भेज दिया जाता ताकि बारिश में परेशानी न हो. 


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