Vulture Census: पन्ना। तीन दिवसीय गिद्धों की गणना का कार्य प्रदेश के सभी वन क्षेत्रों में किया गया. पन्ना जिले के जंगलों में भी तीन दिन वन्यजीव प्रेमियों और वन्यजीव विशेषज्ञों ने गिद्धों की गणना का काम किया. पन्ना टाइगर रिजर्व सहित उत्तर एवं दक्षिण वन मंडल में इस काम को एक साथ शुरू किया गया. अब इसके परिणाम सामने आ चुके है और पन्ना के जंगलों में पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक गिद्ध पाए गए है.


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गणना के आंकड़े सामने आए
प्रदेश व्यापी गणना का काम एक साथ समूचे प्रदेश के वन क्षेत्रों में हुआ है. इसीक्रम में पन्ना के जंगलो में भी गिद्दों की गणना का काम पन्ना टाइगर रिजर्व सहित उत्तर व दक्षिण वन मंड़ल में एक साथ हुआ. सैकड़ो की संख्या में लोगों ने इसमें हिस्सा लिया. सुबह से पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर की मौजूदगी में क्षेत्र में गिद्धों की गणना की. इसी प्रकार उत्तर वन मंड़ल व दक्षिण वन मंडल में भी गणना का काम किया गया और आज तीनों वन क्षेत्रों से गिद्दों की कुल गणना के आंकड़े भी सामने आ गए.


टाइगर रिजर्व के आंकड़े
फील्ड डायरेक्टर बृजेन्द्र झा का कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में गिद्धों की संख्या की बात करें तो पिछले वर्ष टाईगर रिजर्व में 666 के लगभग थी जो बढ़कर इस वर्ष 935 हो गई है. 827 वयस्क और 108 अवयस्क गिद्ध पाए गए हैं. साथ ही पन्ना टाइगर रिजर्व में 7 प्रकार के गिद्धों की प्रजाति पाई गई है. 68 गिद्धों के स्थल चिन्हित किये गए हैं. उत्तर वन मंडल और दक्षिण वन मंडल क्षेत्र में पिछली वर्ष की अपेक्षा में गिद्धों की संख्या बढ़ी है. 


संख्या में आई गिरावट
एक समय देशभर में गिद्धों की संख्या काफी ज्यादा थी जिसमें मध्य प्रदेश का योगदान काफी बड़ी था. लेकिन, धीरे- धीरे गिद्धों की संख्या कम हो गई है. गिद्धों की संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण डिक्लोफेनाक (Diclofenac) को माना जाता है. ये पशुओं के शवों को खाते समय गिद्धों के शरीर में पहुच जाती है. हालांकि, इस दवा को 2008 बैन कर दिया गया था. हालांकि, अभी कुछ लोग गैर कानूनी तरीके से इसका उपयोग करते हैं.