Marriage Shoe Stealing Ritual: हमारे देश भारत में अलग-अलग क्षेत्रों, संप्रदायों में अलग-अलग तरीके से शादी-विवाह (wedding marriage) के रस्म संपन्न कराए जाते हैं. शादियों में एक से बढ़कर एक रस्में निभाई जाती हैं. कुछ रस्मों में आधुनिकता के इस दौर में बदलाव हो गया है तो कुछ रस्म पीढ़ीयों (generations) से चली आ रही है. वैसे आज भी ज्यादात्तर शादियां आज भी परंपरागत (traditional) तरीके से ही होती हैं. शादियों में कुछ ऐसे रस्म हैं, जिनकी तैयारियां लोग खूब शौक से करते हैं. साथ ही इस रस्मों का इंजॉय (enjoy) भी करते हैं. इन्हीं रस्मों में से एक है जूता चुराई की रस्म, जिसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा, कि आखिर शादी में दुल्हन की बहन दुल्हे के जूते क्यों चुराती हैं? आइए जानते हैं इसके बारे में...


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जूते चुराने की रस्म
किसी भी मांगलिक कार्य को करने से पहले जूते चप्पल बाहर निकाल दिए जाते हैं. ठीक ऐसे ही दुल्हा जब शादी के मंडप में जाता है तो वह अपना जूता बाहर निकाल देता है. इसी दौरान दुल्हन की बहनें यानी सालियां उस जूते को चुराने की कोशिश करती हैं. हालांकि इस दौरान दुल्हे के भाई जूते को चुराने से बचाने की कोशिश करते हैं. लेकिन सालियों के आगे उनकी चलती नहीं है और अंत में वे जूते को अपने कब्जे में ले ही लेती हैं. शादी में सालियों द्वारा किए जाने वाले इस रस्म का विशेष महत्व है. इस दौरान सालियां दुल्हे यानी अपने जीजाजी से शगुन और मंहगे तोहफे का डिमांड करती हैं. जब तक वे उनकी डिमांड पूरी नहीं करते तब तक उन्हें जूते वापस नहीं मिलते हैं. इस मजेदार रस्म की सबसे खास बात यह है कि वर-वधू दोनों अपना-अपना पक्ष रखते हैं. 


जानिए जूते चुराने की वजह
शादी में जूते चुराने की सबसे बड़ी वजह की बारे में बताए तो ऐसा माना जाता है कि किसी भी इंसान के जूते उसेक सारे रहस्य खोल देते हैं. इसलिए शादी में दुल्हन की बहन और उनकी सहेलियां जूते चुराकर अपने जीजा जी के पर्सनाल्टी का टेस्ट भी ले लेती हैं या यूं कहें तो इसमें जीजा जी कितने समझदारी के साथ अपने जूते वापस ले लेते हैं. 


खुशियों में बदलता है गम का माहौल
शादी के दौरान जूते चुराई की रस्म से ठीक पहले दुल्हा-दुल्हन सात फेरे लेते हैं और माता-पिता अपने बेटी को वर पक्ष को सौंप देते हैं. इस दौरान दुल्हन पक्ष के लोग दुःखी होने लगते हैं. इसी दौरान लड़की पक्ष यानी दुल्हन की बहन और सहलियां जीजा जी का जूता चूरा लेते हैं. इस रस्म को शुरू करते ही दोनों पक्ष के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और गम का माहौल खुशी में बदल जाता है.


इसके अलावा जूता चुराने की इस रस्म के दौरान दोनों परिवारों के बीच बातचीत और हंसी मजाक होता है. जिससे सब एक दूसरे से परिचित होते हैं और रिश्ते मजबूत होते हैं. इसलिए जूते चुराई की रस्म को प्यार बढ़ाने वाला भी कहा जाता है. 


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)