रातापानी टाइगर रिजर्व MP के लिए बना खास, बाघों के बाद अब वुल्फ का भी होगा दीदार
Ratapani Tiger Reserve: मध्य प्रदेश के रातापानी टाइगर रिजर्व में अब बाघों के अलावा वुल्फ भी देखने को मिलेंगे. क्योंकि अब तक यहां पर सात वुल्फ देखे गए हैं.
मध्य प्रदेश का रातापानी टाइगर रिजर्व अब एक और जानवर के लिए फेमस होने वाला है. क्योंकि यहां आपको बाघों के अलावा भेड़िए भी देखने को मिलेंगे. क्योंकि अब तक यहां पहुंचे अलग-अलग पर्यटकों को भेड़िए भी दिखे थे, जिन्हें पर्यटकों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया. इस बात से रातापानी टाइगर रिजर्व का प्रबंधन भी खुश नजर आ रहा है, क्योंकि अब तक यहां केवल बाघों की संख्या ज्यादा थी, लेकिन भेड़िए दिखना भी अभ्यारण के लिए अच्छे संकेत हैं. बताया जा रहा है कि अब तक यहां पर कुल सात वुल्फ देखने को मिले हैं.
मध्य प्रदेश में है सबसे ज्यादा वुल्फ
दरअसल, भारत के सबसे ज्यादा वुल्फ यानि भेड़िये मध्य प्रदेश में ही पाए जाते हैं. साल 2022 में भेड़ियों की गिनती हुई थी, जिसमें पूरे देश में 3170 वुल्फ पाए गए थे, इसमें मध्य प्रदेश 772 भेड़ियों के साथ पहले स्थान पर आया था. जबकि दूसरे नंबर पर राजस्थान था. तीसरे पर गुजरात, चौथे पर महाराष्ट्र और पांचवें पर छत्तीसगढ़ शामिल था. यानि भेड़ियों का सेंटर यही इलाका था. क्योंकि इन सभी राज्यों की सीमा भी मध्य प्रदेश से लगती है. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा भेड़िए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और पन्ना टाइगर रिजर्व में दिखे थे. लेकिन अब इसमें रातापानी टाइगर रिजर्व का नाम भी जुड़ गया है, जानकरों का मानना है कि वुल्फ माइग्रेट होकर रातापानी पहुंचे हैं.
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10 किलोमीटर तक जाती है आवाज
वन्य प्राणी विशेषज्ञों के मुताबिक भेड़ियां ऐसा जानवर होता है, जिसकी आवाज 10 किलोमीटर तक भी सुनाई देती है. रातापानी टाइगर रिजर्व में भेड़ियों का मिलना इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि यह टाइगर रिजर्व की जैव विविधता के लिए अच्छा संकेत है. क्योंकि वुल्फ की संख्या तब तेजी से बढ़ती है जब उनके लिए उस इलाके में पर्याप्त मात्रा में भोजन हो, ये केवलल मांस खाता लेकिन भेड़ियां इंसानों को देखकर तुरंत ही भागता है. ये झुंड में शिकार करते हैं और अपने शिकार के लिए एक बार में 200 किलोमीटर तक चल सकते हैं. इनकी औसत आयु 17 साल तक होती है.
रातापानी अभ्यारण में जंगल सफारी शुरू हो चुकी है
रातापानी को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने के बाद यहां पर जंगल सफारी शुरू हो चुकी है, सीएम मोहन यादव ने ही जंगल सफारी की शुरुआत की थी. जिसके बाद से लगातार यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. राजधानी भोपाल के पास होने से यहां लोग खूब घूमने आ रहे हैं.
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