Women Reservation Bill: मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला! कैबिनेट ने महिला आरक्षण विधेयक को दी मंजूरी
Historic decision of Modi government: प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिला आरक्षण विधेयक को हरी झंडी दे दी है.
Women Reservation Bill Update: एक ऐतिहासिक कदम में, मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट ने राजनीति में लैंगिक समानता के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है. गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान लिया गया यह निर्णय भारत के राजनीतिक परिदृश्य में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. बता दें कि करीब डेढ़ घंटे तक चली केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया.
Women Reservation Bill: मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला! कैबिनेट ने महिला आरक्षण विधेयक को दी मंजूरी
ऐतिहासिक पल होगा
बता दें कि सोमवार शाम को पीएम मोदी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिलने के बाद, महिला आरक्षण विधेयक अब संसद में आने के लिए तैयार है, जो एक ऐतिहासिक पल होगा. मिली जानकारी के अनुसार, दशकों से लटका यह बिल मंगलवार को सदन में पेश होने वाला है. प्रस्तावित बिल का लक्ष्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करना होगा है. यदि पारित हो जाता है, तो यह कदम कई राज्यों में चुनावी परिदृश्य को नया आकार देगा.
27 वर्षों से संसद में लटका हुआ है बिल
गौरतलब है कि महिला आरक्षण विधेयक 12 सितंबर 1996 को पेश होने के बाद से 27 वर्षों से अधिक समय से संसद में लटका हुआ है. इसका प्राथमिक उद्देश्य 15 वर्षों की अवधि के लिए लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करना है.
पहले भी हुआ विधेयक पेश
महिला आरक्षण विधेयक को अधिनियमित करने के प्रयासों में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से लेकर यूपीए सरकार तक कई सरकारें शामिल रहीं. 1998 में, प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में 33% आरक्षण पर जोर देते हुए लोकसभा में विधेयक पेश किया.
यूपीए-1 सरकार के नेतृत्व में यह बिल 6 मई 2008 को राज्यसभा में फिर से सामने आया. इसे 9 मई, 2008 को स्थायी समिति के पास भेजा गया, समिति की रिपोर्ट 17 दिसंबर, 2009 को प्रस्तुत की गई. इसके बाद, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2010 में विधेयक को मंजूरी दे दी. जबकि यह 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा में पारित हो गया. जाति-आधारित महिला आरक्षण की वकालत करने वाली राजद और समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियों के विरोध के कारण यह मामला लोकसभा में लंबित रहा.