भोपाल: भारतीय जनसंघ की संस्थापक सदस्यों में से एक राजमाता विजय राजे सिंधिया की जयंती (Vijaya Raje Scindia) ग्वालियर में मनाई गई, इस मौके पर सिंधिया राजवंश की छत्री स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस मौके पर बीजेपी (BJP) के कई वरिष्ठ नेता और मंत्री शामिल हुए. इस दौरान राजमाता को पुष्पांजलि देने उनकी दोनों बेटियां खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया (Yashodhara Raje Scindia) और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje) भी विशेष रुप से शामिल हुईं, लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) नदारद रहे.


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यशोधरा राजे सिंधिया ने किया आयोजन
विजय राजे सिंधिया की जयंती पर यशोधरा राजे सिंधिया ने आयोजन किया, जो हर साल होता है. इस मौके पर राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया भी अपनी मां को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंची. इसके अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता जय भान सिंह पवैया गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह, सांसद विवेक शेजवलकर पूर्व मंत्री माया सिंह, सहित बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता अम्मा महाराज को पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचे. इस दौरान सभी के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया दिखाई नहीं दिए, जो चर्चा का विषय बन गया. बता दें इससे पहले 12 अक्टूबर को ही केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने परिवार के साथ राजमाता सिंधिया की जयंती मना चुके हैं. इस समय खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया शामिल नहीं हुई थीं. अब इसको लेकर मीडिया में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. दो बार जयंती मानने के पीछे क्या कारण है, पढ़िए


दो बार क्यों मना जन्मदिन?
दरअसल विजयाराजे सिंधिया का जन्म 12 अक्टूबर 1919 को करवाचौथ के दिन हुआ था. इस कारण सिंधिया घराने के सदस्य इसे अलग-अलग दिनों में मनाते हैं. राजमाता के पोते और केन्द्रीय मंत्री तारीख यानी 12 अक्टूबर को ही यह जयंती मना चुके थे. इसके बाद राजमाता की बेटियां राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे ने तिथि के आधार पर रविवार को करवाचौथ पर राजामाता की जयंती मनाई. इस मौके पर कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने कहा कि स्वर्गीय राजमाता सिंधिया का व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है उन्हें किसी दल से जोड़कर नहीं देखना चाहिए, वह किसी दल की नहीं बल्कि जनता की सेवक थी.