Zee News के ओपिनियन पोल से समझिए MP में जातियों का वोटिंग पैटर्न! किस पार्टी के पाले में जाएंगे सवर्ण और SC-ST
Zee News Matrize Opinion Poll: आज हम आपको बताएंगे कि Zee News-Matrize द्वारा किए गए ओपिनियन पोल के अनुसार आगामी एमपी चुनाव का सवर्णों, ओबीसी, एससी और एसटी का वोटिंग पैटर्न कैसा होगा.
Zee News Matrize-Opinion Poll: मध्य प्रदेश (MP News) में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव (MP Election) के चलते राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियां सभी वर्गों और जातियों को साधने में लगी हुई हैं. आपको बता दें कि Zee News-Matrize द्वारा हाल ही में कराए गए एक्सक्लूसिव ओपिनियन पोल में विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में अलग-अलग जातियों का वोटिंग पैटर्न सामने आया है. आइए आपको बताते हैं Zee News-Matrize के ओपिनियन पोल के मुताबिक अलग-अलग जातियों का वोटिंग पैटर्न कैसा है...
सवर्ण जाति
ओपिनियन पोल के अनुसार, आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सवर्ण जाति की अहम भूमिका होने का अनुमान है. ओपिनियन पोल के अनुसार, सवर्ण समुदाय का 58 प्रतिशत वोट बीजेपी को जाएगा, जबकि 39 प्रतिशत लोग कांग्रेस को वोट देंगे. बाकी 3 फीसदी सवर्ण अन्य पार्टियों को समर्थन करेंगे.
ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग)
ओपिनियन पोल में ओबीसी का मिजाज भी सामने आया है. ओपिनियन पोल के अनुसार, 54 प्रतिशत ओबीसी समुदाय का झुकाव भाजपा की ओर है, जबकि 42 प्रतिशत कांग्रेस को वोट देंगे. साथ ही अन्य पार्टियों को ओबीसी का 4 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है.
एससी (अनुसूचित जाति)
ज़ी न्यूज़ के ओपिनियन पोल से पता चलता है कि अनुसूचित जाति वोट बैंक को लेकर मुकाबला टक्कर का है. बता दें कि एससी समुदाय का 44 प्रतिशत वोट भाजपा को जाएगा है, जबकि कांग्रेस को 48 फीसदी से थोड़ा ज्यादा वोट देंगे. साथ ही अन्य राजनीतिक दलों को एससी वोट शेयर का 8 प्रतिशत मिल सकता है.
अनुसूचित जनजाति
आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के वोटरों की कितनी अहम भूमिका होती है. ओपिनियन पोल के अनुसार, अनुसूचित जनजाति समुदाय के वोट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होगी. एसटी आबादी का 45 फीसदी बीजेपी को वोट देगा, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के 49 फीसदी वोटर कांग्रेस को वोट देंगे. जबकि अन्य पार्टियों को एसटी वोट शेयर का 6 फीसदी मिलेगा.
बता दें कि यह सिर्फ एक ओपिनियन पोल है और इसे किसी भी तरह से चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर नहीं समझा जाना चाहिए.