इंदौरः आधुनिक समय के आध्यात्मिक गुरुओं में ओशो रजनीश प्रमुख हैं. इन दिनों ओशो एक बार फिर चर्चा में हैं. दरअसल महाराष्ट्र के पुणे में ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट है. जिसका संचालन ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा किया जाता है. खबर है कि ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट की करीब 3 एकड़ जमीन को बेचा जा रहा है. जिससे ओशो के लाखों अनुयायियों में नाराजगी है. 


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ओशो की बहन-बहनोई ने लिखी चिट्ठी
ओशो आश्रम की जमीन बेचे जाने के खिलाफ इंदौर में रहने वाली ओशो की बहन मां प्रेम नीरू और बहनोई स्वामी अमित चैतन्य ने दुनियाभर में फैले ओशो अनुयायियों को पत्र लिखा है. एक पत्र ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन और महाराष्ट्र सरकार को भी भेजा गया है. इस चिट्ठी में ओशो की बहन और बहनोई ने आश्रम की करोड़ों रुपए की जमीन बेचे जाने का विरोध किया है. उन्होंने चिट्ठी में आरोप लगाया है कि ओशो फाउंडेशन औने-पौने दामों पर ट्रस्ट की जमीन को बेचने में जुटा है. 


100 करोड़ में बेचे जा रहे दो प्लॉट
ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट करीब 10 एकड़ जमीन में फैला है. पुणे वीआईपी इलाके कोरेगांव पार्क में स्थित इस रिजॉर्ट के 3 एकड़ के दो प्लॉट बेचे जा रहे हैं. इनकी अनुमानित कीमत 100 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है. दरअसल फाउंडेशन का कहना है कि कोरोना काल में आश्रम में श्रद्धालु कम आए हैं, जिससे कमाई प्रभावित हुई है. आश्रम को चलाने के लिए पैसे की कमी हो गई है. जिसके लिए आश्रम की जमीन बेची जा रही है. 


अरबों रुपए की है ओशो फाउंडेशन की संपत्ति
बता दें कि पुणे स्थित ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट और ओशो की बौद्धिक संपदा, जिसमें उनके वीडियो, प्रवचन, किताबें आदि शामिल हैं, उनकी कीमत करीब अरबों रुपए आंकी जाती है. इस पूरी संपत्ति पर ओशो फाउंडेशन का कब्जा है. 


विदेशियों का है ओशो फाउंडेशन पर कब्जा
गौरतलब है कि ओशो रजनीश के नाम पर चलाई जा रही फाउंडेशन पर विदेशियों का कब्जा है. इनमें माइकल ओ ब्रायन (उर्फ स्वामी जयेश) ओशो फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं. ओशो का निधन 19 जनवरी 1990 को हुआ था. उनकी मौत के बाद उनकी वसीयत सामने आई थी. जिसमें ओशो की संपत्ति और प्रकाशन के सारे अधिकार ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन को ट्रांसफर करने की बात कही गई थी.