गड़बड़झाला: जिलाबदर अपराधी का जारी हुआ पासपोर्ट, भोपाल पुलिस ने दी थी क्लीनचिट
भोपाल की टीटी नगर थाने की गुंडा लिस्ट में शामिल बदमाश करण सिंह उर्फ लालू के संगीन मामलों को नजरअंदाज करते हुए पुलिस वेरिफकेशन में उसे क्लीनचिट दे दिया गया.
भोपाल/ अजय शर्मा: अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम के पासपोर्ट प्रकरण के बाद भी भोपाल पुलिस का रवैया नहीं बदला है. 23 दिसम्बर को भोपाल के मंगलवारा थाना पुलिस, फर्जी पासपोर्ट बनवाने के जुर्म में 10 साल की सजा काटकर आए पाकिस्तानी नागरिक इमरान वारशी को बाघा बार्डर छोड़कर आई थी और अब टीटी नगर थाना पुलिस की क्लीनचिट पर शहर के गुंडा लिस्ट में शामिल एक कुख्यात अपराधी का पासपोर्ट जारी कर दिया है.
जानकारी के मुताबिक कुख्यात को पुलिस वेरीफिकेशन में क्लीनचिट देने के लिए दो लाख रुपये का सौदा किया गया था. जिसके बाद रकम बंटवारे में मन मुताबिक हिस्सा न मिलने के कारण पुलिस स्टेशन द्वारा ही इस पर जांच की बात की जा रही है.
गुंडे को पुलिस ने दिया क्लीनचिट
भोपाल की टीटी नगर थाने की गुंडा लिस्ट में शामिल बदमाश करण सिंह उर्फ लालू के संगीन मामलों को नजरअंदाज करते हुए पुलिस वेरिफकेशन में उसे क्लीनचिट दे दिया गया. एनएसए और जिलाबदर हो चुके कुख्यात बदमाश करण सिंह उर्फ लालू पर अपने ही पिता हयात सिंह पर हत्या के प्रयास का आरोप और छेड़छाड़, घर में घुसकर मारपीट, आर्म्स एक्ट, उपद्रव, बलवा जैसे आइपीसी के करीब दो दर्जन अपराध और प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं.
पीवीआर में लगा दो माह का वक्त
करण उर्फ लालू ने जे-187 जनता कॉलोनी हर्षवर्धन नगर के पते पर सितम्बर 2018 में पासपोर्ट के लिए एजेंट के जरिए ऑनलाइन आवेदन किया था. आवेदन के बाद पुलिस वेरीफिकेशन (पीवीआर) में टीटी नगर थाने ने करीब दो महीने का वक्त लिया. अमूमन राजधानी भोपाल में महज तीन से सात दिन में पुलिस वेरीफिकेशन हो जाता है लेकिन वेरीफिकेशन में दो महीने का वक्त लगने के पीछे की कहानी साफ नजर आती है. बदमाश का पासपोर्ट नवम्बर 2018 में बनकर जारी हो गया. बदमाश करण उर्फ लालू को क्लीनचिट के साथ जारी हुए पासपोर्ट का नंबर (एस-8093655) है. पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक बदमाश पर एक भी अपराध दर्ज नहीं है. इस पूरे मामले को लेकर डीआईजी धर्मेन्द्र चौधरी का कहना है कि यदि नियम विरुद्ध कुछ किया गया है, तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी. मामला मेरे संज्ञान में आया है. जांच में दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी.