Baghel On Adani Case: पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने मीडिया से चर्चा में कई मुद्दों पर बेबाकी से बयान दिया. उन्होंने अडानी मामला पर भी साफ कहा कि इससे रमन सिंह को फायदा हुआ. बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी के तमाम प्रवक्ता अडानी के बचाव में उतर आए हैं. बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस सरकार के समय छत्तीसगढ़ में अडानी का निवेश सबसे ज्यादा हुआ. इससे ये बात साफ है कि भाजपा मान रही है मतलब वो मान रहे हैं कि यूएस कोर्ट की कार्रवाई सही है और अडानी गलत तो अडानी पर FIR करके जांच कब करेंगे, बीजेपी वाले बताएं. 


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'रमन सरकार में अडानी को फायदा' 
भूपेश बघेल ने कहा कि जहां तक अडानी के निवेश की बात है जितने भी कोयला खदान स्वीकृत हुए वो रमन सरकार के वक्त के हैं. SECL की खदान भी बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के अडानी को सौंप दी. कोरबा वेस्ट, लैंको और जीएमआर खदान भी अडानी को दे दी. NMDC की खदान भी उसी समय ज्वाइंट वेंचर बना जब डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री थे, माइनिंग के चेयरमैन शिवरतन शर्मा थे, NMDC और CMDC का ज्वाइंट वेंचर बनाकर ज्वाइंट वेंचर बनाकर अडानी को दे दिया गया. हजारों करोड़ का निवेश है या तो डॉ. रमन सिंह ने उपकृत किया है या मोदी सरकार ने उपकृत किया है.

धान खरीदी रोकने वाली है सरकार: बघेल
छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल ने धान खरीदी पर भी बात करते हुए कहा कि गांव-गांव में मुनादी करवा दी गई है कि अगर किसान धान की फसल लगाएंगे तो उन्हं 50 हजार का फाइन लगेगा. बघेल ने कहा आज छत्तीसगढ़ में 24 से 36 क्विंटल प्रति एकड़ धान की पैदावार है और सरकार के अधिकारी 10-12 क्विंटल की आनावारी रिपोर्ट बना रहे हैं, किसान 21 क्विंटल धान बेच नहीं पा रहा है. धान खरीदी शुरु हुए हफ्ते भर से ज्यादा हो चुका है लेकिन धान का उठाव नहीं हो रहा है, ये सरकार राइस मिलर्स से एग्रीमेंट नहीं कर रही है, पिछले साल का 45% चावल FCI में जमा नहीं हो पाया है, ये धान संग्रहण केंद्र भर देंगे और फिर अगले हफ्ते से धान खरीदी रोकेंगे. ये सरकार रमन सिंह सरकार के समय जैसे ही किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर रही.
 


'मेहनत हमने की और पीठ अपनी थपथपा रहे'
भूपेश बघेल ने नक्सवाद मामले पर कहा अपने कार्यकाल में हमने 600 गांव नक्सलमुक्त किए. आदिवासी 600 गांव खाली करके आंध्रप्रदेश-तेलंगाना माइग्रेट कर गए थे, हमारी सरकार में 600 गावों से नक्सली खाली करा दिया. मेहनत हमने की और पीठ अपनी थपथपा रहे हैं


रिपोर्ट-  तृप्ति सोनी, रायपुर