Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल में नक्सलियों के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाई हुई हैं, जिसका असर पूरे नक्सल प्रभावित बस्तर में दिखा है, वहीं पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए थे, जहां उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों का दौरा किया था और जहां नए कैंप खुले हैं वहां के लोगों से भी संवाद किया है. बताया जा रहा है कि 2025 के लिए भी सुरक्षाबलों ने नया प्लान तैयार किया है, जिसका असर पूरे बस्तर संभाग में दिखेगा, क्योंकि अबूझमाड़ में लगातार हो रही कार्रवाई के बाद बताया जा रहा है कि नक्सली सुकमा-बीजापुर माड़ में शिफ्ट हो रहे हैं, ऐसे में यहां भी एक्शन प्लान पर काम किया जाएगा. 


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220 का एनकाउंटर 1500 की गिरफ्तारी 


पिछले 1 साल में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों के साथ छत्तीसगढ़ पुलिस ने भी तेजी से काम किया है, सीएम विष्णुदेव साय ने बताया कि सरकार प्रदेश में नक्सलवाद के पूर्ण खात्मे हेतु संकल्पित है. 
पिछले एक साल में 220 से अधिक नक्सलियों का मारा जाना, 1500 से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण इस बात के पुख्ता सबूत देते हैं कि हमारी सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा स्थापित कर उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर कर रही है.' बता दें कि साय सरकार के आने के बाद प्रदेश में नक्सलियों के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशन हुए हैं. 


अबूझमाड़ को घेरने का प्लान 


बस्तर में आने वाला अबूझमाड़ नक्सलियों का सबसे सुरक्षित इलाका माना जाता था, लेकिन पिछले एक साल में सुरक्षाबलों ने सबसे ज्यादा कार्रवाई यही पर की है. जिससे यहां से नक्सलियों ने शिफ्टिंग शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि वह सुकमा और ओडिशा की तरफ भी बढ़े हैं. लेकिन 2025 में सुरक्षाबलों ने पूरे अबूझमाड़ को ही घेरने का प्लान बनाया है. बताया जा रहा है कि पैरामिलिट्री फोर्स के डीजी और एडीजी रैंक के अधिकारी खुद ही जंगल में कैंप करेंगे और यहां जवानों के साथ मिलकर प्लान को अंजाम तक पहुंचाएंगे. इसके अलावा स्थानीय पुलिस और केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को भी लगातार बस्तर का दौरा करने के निर्देश केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से दिए गए हैं.  


बस्तर में 12 महीने में खुले 35 कैंप 


अमित शाह ने अबूझमाड़ का दौरा किया था, जिसके बाद उन्होंने सुरक्षाबलों के साथ बैठक की थी. इस बैठक के सात दिन बाद ही सुकमा के गोमागुड़ा, अबूझमाड़ के कच्चापाल और बीजापुर के वाटबांगू में तीन नए कैंप खोले गए थे. ये तीनों ही इलाके नक्सलियों के सुरक्षित इलाके माने जाते थे, ऐसे में सुरक्षाबलों ने यही से कार्रवाई करने की शुरुआत की है. बता दें कि पिछले 1 साल में बस्तर इलाके में सुरक्षाबलों ने 12 महीने में 35 से ज्यादा कैंप खोले हैं जबकि यहां पर 2 नई बटालियन बुलवाई गई हैं, ताकि सुकमा और बीजापुर बॉर्डर से लेकर अबूझमाड़ तक नक्सलियों की एंट्री को पूरी तरह से बंद किया जा सके. क्योंकि सुरक्षाबलों का कहना है कि नक्सली अब बीजापुर, सुकमा और अबूझमाड़ तकही सिमट कर रह गए हैं. इसलिए 2026 त सरकार इनके खात्में के प्लान के हिसाब से ही आगे बढ़ रही है. 


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पिछले 1 साल में नक्सलियों खिलाफ हुए बड़े ऑपरेशन 


  • 2 अप्रैल को बीजापुर जिले में 13 नक्सलियों को ढेर किया गया.  

  • 15 अप्रैल को नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन सफल रहा जिसमें 29 नक्सलियों का एनकाउंटर हुआ. 

  • 10 मई को बीजापुर के जंगलों में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 12 नक्सलियों के ढेर किया. 

  • 23 मई को एक बार फिर नारायणपुर जिले के जंगलों में 8 नक्सलियों का एनकाउंटर हुआ. 

  • 15 जून को ओरछा इलाके में फिर मुठभेड़ हुई जिसमें 8 नक्सलियों के ढेर किया गया. 

  • 17 जुलाई को छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की बॉर्डर पर 12 नक्सलियों को ढेर किया गया. 

  • 3 सितंबर को बीजापुर और दंतेवाड़ा की बॉर्डर पर भी 9 नक्सलियों का खात्मा किया गया. 

  • वहीं 4 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के इतिहास में नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन हुआ जिसमें कुल 31 नक्सलियों को मार गिराया गया था. 


जनता को विकास से जोड़े 


नक्सलियों के खिलाफ लगातार हो रहे ऑपरेशन के साथ-साथ केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को नक्सल प्रभावित इलाकों में ज्यादा से ज्यादा सुविधा बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. क्योंकि नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन के लिए माइक्रो लेवल पर मॉनिटरिंग जरूरी है, जिसमें यहां के लोकल लोगों का सपोर्ट जरूर रहता है. क्योंकि नक्सलियों की सबसे छोटी इकाई एरिया कमेटी मानी जाती है, इसकी स्थानीय लेवल पर सबसे ज्यादा पकड़ होती है. अमित शाह ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि बस्तर में कार्रवाई के साथ-साथ आम लोगों को भी मुख्य धारा में जोड़ना है. क्योंकि जब आम लोग नक्सलियों से कट जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई सबसे आसान होगी. इसलिए नक्सलियों का खात्म विकास से ही हो सकता है. 


2025 में बस्तर में बिछेगा इंटरनेट का जाल 


राज्य सरकार को बस्तर संभाग में इंटरनेट का जाल बिछाने के निर्देश भी दिए हैं. क्योंकि तकनीक से भी नक्सलियों का आसानी से पता लगता है. वहीं जब आम आदमी की पकड़ मजबूत होगी तो वह तेजी से मुख्यधारा में जुड़ेगा. जबकि इससे नक्सलियों को ट्रैक करना भी आसान होता है. माना जा रहा है कि इस दिशा में तेजी से काम होगा. ऐसे 2025 में भी छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई देखने को मिल सकती है. 


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