छत्तीसगढ़: यहां पुरुषों से भी आगे निकली महिलाएं, कुरीतियों से लड़ने को बनाया खास प्लान
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण की एक नई मिसाल खड़ी की
कवर्धा: छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण की एक नई मिसाल खड़ी की है. दरअसल, नगर के सभी वार्डों में महिलाओं द्वारा अनोखी पहल करते हुए महिला कमांडो का गठन किया गया है. इन महिलाओं ने नगर की बुराइयों को दूर कर समाज को विकासशील करने का बीड़ा उठाया है. लेकिन, रात के अंधेरे में इन महिलाओं को असमाजिक तत्वों का सामना करना पड़ता है. इस बात से परेशान इन महिलाओं ने पुलिस अधीक्षक के सामने अपनी कुछ मांग रखीं.
हर वार्ड में महिला कमांडो
आपको बता दें कि कवर्धा नगर में महिलाओं ने अनोखी पहल करते हुए नगर कल्याण समिति का गठन किया. इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण की ओर एक बड़ा कदम उठाते हुए समाज का विकास करने का फैसला लिया है. नगर के विभिन्न कुरीतियों को दूर करने के लिए महिलाओं ने महिला कमांडो का प्रत्येक वार्ड में गठन किया है.
तीन महीने बाद भी नहीं मिली कोई मदद
समाज के प्रति महिलाओं की इस भागीदारी को जिले के पुलिस अधीक्षक ने भी हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया था. लेकिन, कमांडो टीम के गठन के तीन माह बाद भी इनको जरूरी संसाधनों के लिए पुलिस विभाग का चक्कर काटना पड़ रहा है. इस वजह से देर रात तक अंधेरे में ही बिना रोशनी के अपने घर-परिवार और छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर गश्त करनी पड़ रही है. जिसके लिए इन्होंने पुलिस अधीक्षक से कमांडो ड्रेस, विसिल, टार्च और डंडे की मांग की है.
समाज में फैली विभिन्न कुरीतियां
रात में गश्त के दौरान शराबियों से सामना हो, जुआरियों को पकड़ने की बात हो या फिर अन्य कई प्रकार की बुराइयों के खात्मे के लिए नगर के प्रत्येक वार्ड में महिला कमांडो का गठन कर सामाजिक विकास की भागीदारी में ये महिलाएं आगे आई हैं. लेकिन, जरूरी सुविधाओं के अभाव में इन्हें ही जूझना पड़ रहा है. ऐसे में समाज के विकास में बिना किसी वेतन के आगे आए इन महिलाओं को कुछ असामाजिक लोगों का डर सता रहा है.
एसपी ने किया मांग पूरा करने का वादा
महिलाओं द्वारा जरूरी संसाधनो की मांग के बाद जिले के पुलिस अधीक्षक लालउमेंद सिंह ने जल्द ही महिला कमांडो टीम को आवश्यक सुविधा मुहैया कराने की बात कही है. अब देखना होगा कि देर रात तक अंधेरे में शहर के चप्पे-चप्पे की गश्त करने वाले इन महिला कमांडों को जरूरी सुविधा कब तक मुहैया हो पाती है.