75th Independence Day: हम जानते हैं कि साल 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में भारत की वैकल्पिक सरकार बनाई थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस वैकल्पक सरकार का गठन सिंगापुर में किया था और वह इस सरकार के प्रधानमंत्री थे लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि भारत की पहली निर्वासित सरकार का गठन 1 दिसंबर 1915 को अफगानिस्तान में हो गया था. इस निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली थे और राष्ट्रपति राजा महेंद्र प्रताप सिंह थे. उबेदुल्लाह सिंधी इस सरकार के गृहमंत्री थे. 


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कौन थे मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली
बरकतुल्लाह भोपाली का जन्म 7 जुलाई 1854 को भोपाल के इतवारे इलाके में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई भोपाल के रेतघाट स्थित सुलेमानियां स्कूल में हुई. शिक्षा प्राप्त करने के बाद मौलाना बरकतुल्लाह मुंबई चले गए और वहां से 1887 में लंदन चले गए. लंदन में रहते हुए मौलाना बरकतुल्लाह लगातार देश की आजादी के लिए प्रयास करते रहे और भारतीय क्रांतिकारियों के संपर्क में बने रहे. 


बरकतुल्लाह भोपाली गदर पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे और उन्होंने गदर पार्टी के अखबार गदर का संपादन भी किया. बरकतुल्लाह भोपाली का निधन अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 20 सितंबर 1927 को हुआ था. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में उनके नाम पर एक यूनिवर्सिटी भी है. 


राजा महेंद्र प्रताप सिंह
राजा महेंद्र प्रताप सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और समाज सुधारक थे. राजा महेंद्र प्रताप उत्तर प्रदेश की एक जाट रॉयल फैमिली से ताल्लुक रखते थे. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वह अफगानिस्तान गए और वहां देश की पहले निर्वासित सरकार का गठन किया. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ने के लिए राजा महेंद्र प्रताप ने कई देशों की यात्रा की और देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारियों की मदद की.


साल 1919 में जब अफगानिस्तान के राजा ने भारत की पहली निर्वासित सरकार को खत्म करने का निर्देश दिया तो राजा महेंद्र प्रताप सिंह जापान चले गए, जहां उन्होंने रास बिहारी बोस के साथ मिलकर काम किया. रास बिहारी बोस ने ही इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का गठन किया था, जो बाद में सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज बनी. राजा महेंद्र सिंह ने ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए जमीन दान की थी. बीती साल उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर एक यूनिवर्सिटी का निर्माण करने का ऐलान किया था.