Begum Akhtar Birth Anniversary: जब भी गजलों की बात चलती है तो जो एक नाम सबसे पहले जहन में आता है वो है बेगम अख्तर (Begum Akhtar) का. गजल पहले कोठों की शान हुआ करती थी लेकिन उसे आम लोगों तक पहुंचाने का श्रेय बेगम अख्तर को ही जाता है. खासकर शास्त्रीय रागों पर आधारित गजल गायकी में बेगम अख्तर का कोई जवाब नहीं है. ये बेगम अख्तर की गायकी का ही कमाल था कि उन्हें गजल की मल्लिका कहा जाता है. मशहूर शायर कैफी आजमी ने एक बार बेगम अख्तर की गजल गायकी की तारीफ में कहा था कि 'गजल के दो मायने होते हैं. पहला गजल और दूसरा बेगम अख्तर'.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐसे हुई गायकी की शुरुआत
साल 1949 में बिहार में आए भूकंप के पीड़ितों की सहायता के लिए एक कंसर्ट का आयोजन किया गया था. इस कंसर्ट में कई बड़े संगीतकार और गायक शिरकत कर रहे थे. बताया जाता है कि एक मशहूर शास्त्रीय गायक कार्यक्रम में आने का वादा कर ऐन वक्त पर दगा दे गए. ऐसे में उस्ताद मोहम्मद अता खान ने अपनी एक शागिर्द को मंच पर प्रस्तुति के लिए भेज दिया. ये शागिर्द और कोई नहीं 20 साल की अख्तरी बाई हीं थी, जो बाद में चलकर बेगम अख्तर के नाम से मशहूर हुईं. उस कार्यक्रम में बेगम अख्तर ने अपनी गायकी से जो समां बांधा, तभी लोगों को अहसास हो गया था कि गायकी की दुनिया में बेगम अख्तर का नाम दूर तक जाएगा. इसी कार्यक्रम में बेगम अख्तर की गायकी से प्रभावित होकर भारत की स्वर कोकिला सरोजनी नायडू ने उन्हें खादी की साड़ी उपहार में दी थी. बेगम अख्तर का ख्याल, ठुमरी, दादरा और गजल गायल के फन ने उन्हें खूब प्रसिद्धि दिलाई.


 



गजलों को कोठों से निकालकर आम लोगों के बीच पहुंचाया
बेगम अख्तर की गायकी के चर्चे सुनकर ग्रामोफोन कंपनी ने उनसे गाना गाने की अपील की लेकिन बेगम अख्तर के उस्ताद ने मना कर दिया  लेकिन घर की तंगहाली के चलते बेगम अख्तर ने एचएमवी कंपनी के साथ करार किया और दादरा और गजलें गाईं. इसके बाद बेगम अख्तर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. यह बेगम अख्तर की गायकी का ही जादू था, जिसने गजल को कोठों से निकालकर आम लोगों के बीच लोकप्रिय किया. 


बेगम अख्तर ने गालिब, मोमिन, फैज अहमद फैज, कैफी आजमी, शकील बंदायूनी जैसे दिग्गज शायरों के कलाम गाए और इन कलाम को घर-घर में पहचान दिलाई. बेगम अख्तर की लोकप्रियता के चलते उन्हें फिल्मों में काम करने के ऑफर मिलने लगे. जिसके बाद बेगम अख्तर ने नल और दमयंती, एक दिन की बादशाहत, मुमताज बेगम जैसी कई फिल्मों में अभिनय भी किया. उस वक्त बेगम अख्तर 2000 रुपए मासिक की सैलरी पाती थीं. 


राजा ने गायकी के बहाने किया रेप
बेगम अख्तर की जिंदगी की शुरुआत स्याह रही और बचपन में ही उन्हें शारीरिक शोषण झेलना पड़ा. जब बेगम अख्तर 7 साल की थी तो एक बार उन्हें गायकी सिखाने वाले उस्ताद ने उनका शारीरिक शोषण किया. इसके बाद जब बेगम अख्तर 13 साल की थीं तो एक बार बिहार के एक राजा ने उन्हें गाना सुनने के लिए बुलाया और उनके साथ बलात्कार किया. बताया जाता है कि बेगम अख्तर इस दौरान बिन ब्याही मां बन गईं थी और उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया. जिसे वह लोकलाज के भय से अपनी बहन बताती थीं. हालांकि बाद में इस बात का खुलासा हो गया था कि वह लड़की उनकी बहन नहीं बल्कि नाजायज बेटी थी. 



शादी के बाद गाना छोड़ा
साल 1945 में बेगम अख्तर को उनका प्यार मिला और उन्होंने इश्तियाक अहमद अब्बासी नामक वकील से निकाह कर लिया था. निकाह के बाद ही अख्तरी बाई बेगम अख्तर बन गईं थी. शादी के बाद करीब 5 साल तक बेगम अख्तर ने गायकी से दूरी बनाकर रखी. हालांकि यह दूरी ज्यादा दिन नहीं चल सकी और बेगम अख्तर ने एक बार फिर गायकी की दुनिया का रुख किया. कैफी आजमी की गजलों को प्रसिद्ध करने में बेगम अख्तर की आवाज की बड़ी भूमिका थी.  


बेगम अख्तर का जन्म 7 अक्टूबर 1914 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ था. बेगम अख्तर के पिता ने उन्हें और उनकी मां को छोड़ दिया था. इसके बाद बेगम अख्तर और उनकी मां ने कई सालों तक जीवन में संघर्ष किया. बेगम अख्तर खाने की शौकीन थीं और समोसे उन्हें काफी पसंद थे. कहा जाता है कि शराब, सिगरेट और कैफी साहब उनके आखिरी दिनों के दोस्त थे. 30 अक्टूबर 1974 को बेगम अख्तर का निधन हो गया था. लखनऊ के पसंदा बाग में बेगम अख्तर की कब्र है, जहां मल्लिका ए गजल दफन है.