रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhatisgarh) के सूरजपुर जिले के कलेक्टर रणवीर शर्मा ( Surajpur DM Ranvir Sharma) का अमानवीय चेहरा दिखाता एक वीडियो (Viral Video) वायरल है. इसमें वह एक बच्चे को लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर चांटा मारते दिख रहे हैं. बच्चे का मोबाइल भी तोड़ देते हैं. अब इस वीडियो को देखने के बाद कई सवाल उठ रहें होगे कि क्या डीएम के पास इतनी पावर होती है कि वो किसी को भी बीच चौराहे थप्पड़ मार सकता है.


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कितने भोले हैं कलेक्टर साहब, अब कह रहे आवेश में आकर मारा चांटा, माफी दे दो


गौरतलब है कि देश में तीन लोग सबसे पावरफुल होते हैं. देश का पीएम, प्रदेश का सीएम और जिले का डीएम. पीएम देश का मालिक होता है. सीएम प्रदेश का और डीएम जिले का. इनके तीनों के पास पावर होती है. जिले का मालिक डीएम होता है. उसके अंडर में एसपी होता है. जिले में कोई भी बड़ा फैसला लेना होगा तो बिना कलेक्टर की अनुमति के नहीं होगा. कर्फ्यू लगाना यानी धारा 144 लगाना कलेक्टर पर निर्भर करता है. एसपी बाकायदा कलेक्टर को से परमिशन मांगते हैं कि जिले में धारा 144 लगानी है, अगर डीएम परमिशन देता है तभी ऐसा होता है.


सोशल मीडिया पर डीएम रणवीर शर्मा सस्पेंड ट्रेंड में
थप्पड़ की इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कलेक्टर रणवीर शर्मा ट्विटर पर जमकर ट्रोल हो रहे हैं, सोशल मीडिया में उन्हें हटाने के लिए कई हैशटैग चलाए जा रहे हैं. जिसके बाद खुद रणवीर शर्मा ने सोशल मीडिया मे अपना वीडियो जारी कर इस पूरे मामले में सफाई देते हुए माफी मांगी है. 


क्या डीएम थप्पड मार सकता है?
हम बता दें कि कलेक्टर को अपने पद के नियमों के अनुसार काम करने का पूरा अधिकार प्राप्त है, लेकिन किसी व्यक्ति को इस तरह सरेराह थप्पड़ मारने का अधिकार उसे नहीं दिया जाता, क्योंकि जिस तरह सूरजपुर जिले के कलेक्टर रणवीर शर्मा ने युवक को थप्पड़ मारा है, उसका मोबाइल तोड़ा है, ये कहीं से भी लॉ फुल एक्टिविटी नहीं मानी जाती है. 


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क्या कलेक्टर पर एफआईआर हो सकती है ?
आपको बता दें कि सीआरपीसी की सेक्शन 197 कलेक्टर (लोकसेवकों) को यह अधिकार देती है कि उनके खिलाफ किसी भी एफआईआर करने से पहले सरकार की मंजूरी ली जाए. हालांकि ये कानून तब लागू जब वह कलेक्टर अपने कर्तव्य का सही पालन करें, लेकिन यहां जिस तरीके से कलेक्टर रणवीर शर्मा  और साथ में एसडीएम ने सरेराह थप्पड मारे है ये कही से भी उनके पद का कर्तव्य नहीं है. इसके लिए आईपीएस का सेक्शन 323 और 341 के तहत कार्रवाई हो सकती है.


त्रिपुरा में भी हुई थी ऐसी घटना
इससे पहले त्रिपुरा राज्य का एक वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आया था, जिसमें एक अन्य आईएएस अधिकारी शैलेष कुमार यादव ने कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करवाने के लिए लोगों से अभद्रता की थी. उनका भी वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी.


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