नई दिल्लीः तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) समेत कुल 14 लोगों के निधन की पुष्टि हो गई है. सीडीएस जनरल बिपिन रावत के रूप में भारतीय सेना ने अपने एक तेजतर्रार और अनुभवी सैन्य अधिकारी को खो दिया है. बता दें कि जनरल बिपिन रावत को देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी में स्वार्ड ऑफ ऑनर के अवार्ड से सम्मानित किया गया था. बता दें कि स्वार्ड ऑफ ऑनर एकेडमी के बेस्ट कैडेट को दी जाती है. इसके आधार पर कह सकते हैं कि जनरल बिपिन रावत ने ट्रेनिंग के दौरान ही साबित कर दिया था कि सेना को एक बेहतरीन सैन्य अधिकारी मिलने जा रहा है. 


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चीन सेना के खिलाफ भारतीय टुकड़ी का किया नेतृत्व
जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) दिसंबर 1978 में 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन हुए थे. साल 1986 में ईस्टर्न सेक्टर में एलएसी पर अरुणाचल प्रदेश के किबिथु सेक्टर में उनके नेतृत्व में उनकी बटालियन ने चीनी सेना की बटालियन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था. बता दें कि 1962 की लड़ाई के बाद पहली बार भारत और चीन की सेनाओं के बीच इतना लंबी तनातनी चली थी. आखिरकार चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा था. 


जनरल बिपिन रावत ने साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र की सेना का भी अफ्रीकी देश कांगो में नेतृत्व किया था. उस दौरान विद्रोही सेनाओं ने कांगो में गोमा नामक जगह को कब्जाने का प्रयास किया था लेकिन जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र की सेना ने विद्रोहियों को धूल चटाई थी. 


सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) के थे सूत्रधार
साल 2015 में म्यांमार की सीमा में जाकर उग्रवादी संगठनों पर हमले की सर्जिकल स्ट्राइक के सूत्रधार भी जनरल बिपिन रावत ही थे. बता दें कि मणिपुर के उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ वेस्टर्न साउथ ईस्ट एशिया ने भारतीय सेना के काफिले पर हमला कर 18 सैनिकों को शहीद कर दिया था. जिसके जवाब में भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में जाकर उग्रवादी संगठन के ठिकानों पर हमला किया. इस ऑपरेशन के पीछे भी जनरल बिपिन रावत का ही दिमाग था.