नितिन गौतमः कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में एक नया मोड़ आ गया है. दरअसल अभी तक चर्चा थी कि अध्यक्ष पद के लिए दिग्विजय सिंह और शशि थरूर के बीच मुकाबला होगा लेकिन अब मल्लिकार्जुन खड़गे भी मैदान में आ गए हैं. वहीं खड़गे के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है और कहा है कि वह मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बनेंगे. इसके बाद राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई हैं कि क्या यह पार्टी की गुटबाजी है या फिर यह कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक है, जिसके जरिए कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव साधना चाहती है?


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दक्षिण साधने की कवायद
कुछ लोगों का मानना है कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने और दिग्विजय सिंह के पीछे हटने का कारण, कांग्रेस की दक्षिण की राजनीति साधने की कोशिश हो सकती है. दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति दक्षिण के राज्यों पर फोकस करने की है. अभी की स्थिति में कांग्रेस, उत्तर भारत में भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में नहीं है. बीजेपी ने भी उत्तर भारत की राजनीति को जिस तरह से अपने पक्ष में किया हुआ है, उसे देखते हुए 2024 में कांग्रेस के लिए ज्यादा उम्मीद भी वहां दिखाई नहीं दे रही है. यही वजह है कि कांग्रेस भी इस बात को भांपकर दक्षिण की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी कर रही है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का फोकस भी दक्षिण ही है क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सबसे ज्यादा दिन दक्षिण से ही गुजरेगी. भारत जोड़ो यात्रा को दक्षिण के राज्यों में अच्छा खासा समर्थन भी मिलता दिख रहा है, इससे भी कांग्रेस उत्साहित होगी. 


129 लोकसभा सीटों की लड़ाई
दक्षिण भारत में लोकसभा की 129 सीटें हैं. इनमें तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 39, कर्नाटक में 28, आंध्र प्रदेश में 25, तेलंगाना में 17  और केरल की 20 लोकसभा सीटें शामिल हैं. तमिलनाडु में कांग्रेस सत्ताधारी डीएमके के साथ गठबंधन में है. कर्नाटक और केरल में भी मजबूत स्थिति में है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में जरूर कांग्रेस का जनाधार कम हुआ है लेकिन यहां पार्टी अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने की कोशिशों में लगातार जुटी हुई है. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दक्षिण से 28 लोकसभा सीटें मिली थी. इस बार कांग्रेस की कोशिश है कि इस आंकड़े को 50 के पार ले जाया जाए.


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जातीय समीकरण साधने की कोशिश
मल्लिकार्जुन खड़गे का ताल्लुक दक्षिण के राज्य कर्नाटक से है. मल्लिकार्जुन खड़गे दलित वर्ग से आते हैं तो इसका भी पार्टी को फायदा मिल सकता है. दरअसल दक्षिण के राज्यों की बात करें तो तमिलनाडु, कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में अच्छी खासी तादाद में दलित मतदाता रहते हैं. ये दलित मतदाता हार जीत का अंतर पैदा करने की ताकत रखते हैं. ऐसे में दलित वर्ग से आने वाले मल्लिकार्जन खड़गे अगर कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं तो पार्टी को इसका बड़ा फायदा मिल सकता है. 


राहुल गांधी भी कर चुके हैं दक्षिण की तारीफ
राहुल गांधी खुद भी केरल के वायनाड से सांसद हैं और बीते दिनों उन्होंने खुद एक बड़ा बयान देते हुए उत्तर और दक्षिण की राजनीति में फर्क बताया था. राहुल गांधी ने कहा था कि दक्षिण भारत में मुद्दों पर राजनीति होती है. कांग्रेस पार्टी का इतिहास भी बताता है कि जब भी पार्टी मुश्किल में फंसती है तो दक्षिण भारत से ही उसे सहारा मिलता है. आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस सिमटकर 153 सीटों पर आ गई थी. इनमें से 92 सीटें कांग्रेस को साउथ से ही मिलीं थी. अब एक बार फिर लग रहा है कि कांग्रेस की उम्मीदें दक्षिण भारत पर लगी हुई हैं.


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गुटबाजी से नाराज हुए दिग्विजय सिंह?
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में जिस तरह से रोज नए समीकरण बनते और बिगड़ते दिख रहे हैं, उसे देखते हुए इसे पार्टी की गुटबाजी से भी कुछ लोग जोड़ रहे हैं. सबसे पहले अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे थे और माना जा रहा था कि गांधी परिवार का भी उनको पूरा समर्थन है लेकिन अशोक गहलोत राजस्थान के सीएम का पद नहीं छोड़ना चाहते थे और चर्चाएं ऐसी भी हैं कि अगर वह सीएम पद छोड़ते भी हैं तो वह सचिन पायलट को सीएम बनाने के पक्ष में नहीं थे. इसके चलते रस्साकशी चली और आखिरकार अशोक गहलोत रेस से बाहर हो गए. 


इसके बाद दिग्विजय सिंह का नाम सामने आया और उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के बीच में ही दिल्ली आकर सोनिया गांधी से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने पर्चा लिया. जिसके बाद से ही चर्चाएं थी कि दिग्विजय सिंह अगले कांग्रेस अध्यक्ष हो सकते हैं लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरुवार शाम में कांग्रेस के असंतुष्ट जी23 नेताओं की बैठक आनंद शर्मा के आवास पर हुई. इसके बाद खबर आई कि मलिल्कार्जुन खड़गे भी कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में शामिल हैं. आज दिग्विजय सिंह ने मल्लिकार्जुन खड़गे का समर्थन करते हुए अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. हालांकि सुबह के वक्त वह मीडियाकर्मियों पर भड़कते दिखाई दिए थे. जिसके बाद माना गया कि शायद दिग्विजय सिंह भी नाराज हैं और इस पूरे घटनाक्रम को पार्टी के भीतर की गुटबाजी से भी जोड़कर देखा जा रहा है.