भोपाल: कहते हैं धरती पर अगर कोई भगवान का रूप है तो वो हैं डॉक्टर, क्योंकि डॉक्टर ही हैं, जो किसी भी मरते हुए व्यक्ति को जीवनदान दे सकते हैं. डॉक्टर का पेशा सिर्फ एक रोजगार नहीं बल्कि उनकी पूजा है. इसका जीता जागता उदाहरण भोपाल से सामने आया है. जहां खुद कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी डॉक्टर दूसरे मरीजों की जान बचाने में जुटे हैं.


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हम आपको ऐसे दो डॉक्टरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके फर्ज के जुनून के आगे कोरोना का डर कहीं नहीं टिकता.


पहला नाम है अनुराधा चौधरी का, जो भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के सर्जरी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. कोरोना होने के बाद डॉक्टर अनुराधा हमीदिया हॉस्पिटल के ब्लॉक ए के सैकंड फ्लोर पर भर्ती हैं. खुद संक्रमित होने के बावजूद  वह 20 से ज्यादा कोरोना मरीज़ों का इलाज करी हैं. डॉक्टर अनुराधा ने बताया कि अपने सीनियर डॉक्टर को देखकर उन्हें ये हौसला मिला. जरूरत पड़ने पर वो फोन पर दवाईयों की जानकारी हासिल कर इलाज कर रही हैं.


अनुभव अग्रवाल ने शेयर किया अपना अनुभव
दूसरे डॉक्टर हैं अनुभव अग्रवाल. यह फिलहाल जीएमसी एमडी मेडिसिन थर्ड ईयर कर रहे हैं. डॉक्टर अनुभव भी हमीदिया हॉस्पिटल के ए ब्लॉक के फर्स्ट फ्लोर पर भर्ती हैं. वह 16 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुए थे. उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि जब वो एडमिट हुए थे तभी एक पेशेंट को रेमडेसिविर इंजेक्टशन के बाद रिएक्शन हुआ, जिसके बाद वे इलाज में जुट गए.


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