प्रमोद शर्मा/विदिशाः मैं और मेरे सहयोगी कैमरामैन नंदन विश्वास गुरुवार को विदिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दत्तक पुत्रियों के शादी कार्यक्रम को कवर कर रहे थे. सबकुछ सामान्य था और सीएम खुद बेटियों का कन्यादान करने के लिए शादी कार्यक्रम में मौजूद थे. इसी दौरान मुझे सूत्रों के हवाले से शाम खबर मिली कि विदिशा के गंजबासौदा में हादसा हुआ है, जिसमें कई लोग कुएं में गिर गए हैं. हालांकि जब इस मुद्दे पर विदिशा कलेक्टर से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे बात नहीं हो सकी. 


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इसके बाद रात 8 बजे के करीब विदिशा कलेक्टर ने सीएम शिवराज को हादसे के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद सीएम ने तुरंत राहत एवं बचाव कार्य करने और उन्हें पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया. चूंकि जब सीएम, कलेक्टर को निर्देश दे रहे थे, तब मैं उनसे कुछ ही दूरी पर खड़ा था, जिससे हमें भी घटना की जानकारी हो गई. इसके बाद मैं और मेरे सहयोगी विदिशा से तुरंत गंजबासौदा के लिए निकल गए. 


जैसे ही हमने गंजबासौदा की लाल पठार बस्ती में प्रवेश किया तो वहां घरों के बाहर लोग रोते बिलखते दिखाई दिए. वहां का माहौल परेशान करने वाला था और हमें अंदाजा हो गया था कि हादसा बड़ा है. लोगों से पूछते हुए हम घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां भारी भीड़ जमा थी. वहां जाकर पता चला कि कुएं में एक मासूम गिर गया था, जिसे बचाने के लिए कुएं की मेड़ पर भारी भीड़ जमा थी. जिससे कुएं की मेड़ भरभराकर गिर गई और उस पर खड़े लोग मलबे में दब गए. 


रात 10 बजे के करीब हमने मौके पर रिपोर्टिंग शुरू की. इस दौरान जब हमने कुएं में झांककर देखा तो उसमें कुएं में गिरे लोगों के जूते-चप्पल तैरते दिखाई दिए, यह तस्वीर काफी हृदय विदारक थी. जब हमने वहां रिपोर्टिंग शुरू की और आंखों देखा हाल सुनाना शुरू किया, इसी दौरान हमारी आंखों के सामने एक और हादसा हो गया. 


दरअसल राहत और बचाव कार्य के दौरान जेसीबी मशीन कुएं के पास खुदाई कर रही थी, तभी एक बार फिर कुएं का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया. जिसकी चपेट में रेस्क्यू के काम में लगा ट्रैक्टर भी आ गया और वो भी मलबे में समा गया. हालांकि गनीमत रही कि ट्रैक्टर पर सवार दो लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया. इस अफरा-तफरी और हंगामे के बीच हमने अपनी रिपोर्टिंग जारी रखी. लेकिन हादसों का ये सिलसिला अभी थमा नहीं था. 


दरअसल कुएं के पास खड़े होकर जब मैं और मेरे सहयोगी नंदन विश्वास लोगों तक घटना की लाइव फुटेज और जानकारी पहुंचा रहे थे, तभी उसी जगह से फिर मिट्टी धंस गई और उस शोर-शराबे में एक बार कि लगा कि अब बचना मुश्किल है लेकिन किसी तरह से हमने अपने आप को गिरने से बचाया. 


इस बीच रात 10.30 बजे के करीब प्रशासन ने मौके पर रेस्क्यू बंद कर दिया, जब मैंने कलेक्टर, एसपी से इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने बात नहीं की! वहीं जो लोग मलबे में दबे हुए थे, उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था. महिलाएं रो रहीं थी और अपने परिजनों को बचाने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहीं थी. परिजनों का आरोप था कि घटना के दो घंटे बाद प्रशासन जागा और राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया. 


रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर कुछ लापरवाही भी दिखी. दरअसल इस हादसे में पहले गोताखोरों को बुलाकर उनकी मदद से लोगों को निकालने का प्रयास किया जाना चाहिए था लेकिन जेसीबी से खुदाई की गई, जिससे वहां हालात और बिगड़े. NDRF की टीम भी रात 12 बजे के करीब घटनास्थल पर पहुंची थी! तब तक हादसे के शिकार हुए लोगो की जान और जोखिम मे जा चुकी थी! रात डेढ़ बजे के करीब हम घटना स्थल से रवाना हुए, उस वक्त राहत और बचाव कार्य जारी था.