नई दिल्लीः हमारे देश में कई ऐसे महान समाज सुधारक और नेता हुए हैं, जिन्होंने देश और समाज को नई दिशा दी और लोगों को सशक्त बनाया. ऐसी ही एक शख्सीयत हैं ज्योतिबा फुले (Jyotirao Phule). महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म आज ही के दिन 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. ज्योतिबा फुले का जन्म एक पिछड़े वर्ग के परिवार में हुआ था. फुले का परिवार तत्कालीन पेशवा बाजीराव द्वितीय के परिवार के माली के तौर पर काम करता था. पेशवा के परिवार के लिए काम करने के चलते उनके परिवार को भेदभाव नहीं झेलना पड़ता था. हालांकि एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि उसने ज्योतिबा फुले के जीवन पर गहरा असर डाला और उन्होंने समाज के दबे कुचले वर्ग और महिलाओं के कल्याण के लिए काम करने का फैसला कर लिया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) ने प्राइमरी स्कूल में शुरुआती शिक्षा प्राप्त की. उस वक्त दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं करते थे तो ज्योतिबा फुले भी आधारभूत शिक्षा लेने के बाद अपने पिता के साथ खेतों में काम करने लगे. हालांकि ज्योतिबा फुले पढ़ने में बेहद तेज थे तो उनके पड़ोसियों ने ज्योतिबा फुले के पिता को उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने के लिए मना लिया. इसके बाद फुले का एडमिशन स्कॉटिश मिशनरी हाई स्कूल में कराया गया जहां से उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की. 


धमतरी की बेटी ने बनाया ऐसा डिवाइस, मजनुओं को लगेगा 1000 वोल्ट का झटका


दोस्त की शादी में झेला भेदभाव
बताया जाता है कि ज्योतिबा फुले एक बार अपने एक ब्राह्मण दोस्त की शादी में गए तो वहां दूल्हे के परिजनों ने उनके पिछड़ा वर्ग का होने के चलते बेइज्जती की. इसने ज्योतिबा फुले को अंदर तक झकझोर दिया और उन्होंने समाज से भेदभाव मिटाने का फैसला किया. 


ज्योतिबा फुले की साल 1840 में सावित्रीबाई फुले से शादी हुई थी. ज्योतिबा फुले ने कहीं पढ़ा था कि सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए समाज में महिलाओं और समाज के निचले वर्ग के लोगों को सशक्त और शिक्षित करना जरूरी है. इसी उद्देश्य से महात्मा ज्योतिबा फुले ने पहले अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को पढ़ना-लिखना सिखाया और फिर दोनों ने मिलकर पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला. इस स्कूल में सभी वर्ग, धर्म की बच्चियां शिक्षा हासिल करती थी.


इसके बाद ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) ने कई और स्कूल खोले. महात्मा ज्योतिबा फुले ने बाल विवाह का भी विरोध किया और विधवा विवाह का समर्थन किया. महात्मा ज्योतिबा फुले ने गर्भवती महिलाओं की देखभाल के लिए एक देखभाल केंद्र की भी शुरुआत की. इस तरह ज्योतिबा फुले ने समाज में कई बड़े बदलाव की कोशिश की और आज समाज में महिलाओं की स्थिति जिस तरह दिनों दिन मजबूत हो रही है, उसकी शुरुआत का श्रेय ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले को भी जाता है. यही वजह है कि ज्योतिबा फुले को उनके समय से आगे का व्यक्ति कहा जाता है. साल 1888 में ज्योतिबा फुले को पैरालाइज स्ट्रोक आया जिसके चलते 1890 में उनका निधन हो गया. 


गांवों की बदलेगी तस्वीर! टैक्स वसूलने का जिम्मा महिलाओं ने संभाला, होगा ये फायदा


अंबेडकर भी मानते थे गुरु
संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ज्योतिबा फुले को अपना गुरु मानते थे. उन्होंने कहा था कि ज्योतिबा फुले की शख्सीयत उन्हें प्रेरित करती है. ज्योतिबा फुले की मांग थी कि सामाजिक तौर पर पिछड़े वर्ग के बच्चों को मुफ्त प्राइमरी एजुकेशन मिलनी चाहिए. ज्योतिबा फुले ने ही पहली बार सामाजिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए दलित शब्द का इस्तेमाल किया था. मशहूर समाज सुधारक विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर ने ज्योतिबा फुले को महात्मा की उपाधि से नवाजा था.