कहीं गाली देकर तो कही कपड़े फाड़कर मनाई जाती है Holi, जानिए अलग-अलग जगहों की अनोखी होली के बारे में
भारत अपनी संस्कृति के लिए दुनियाभर में मशहूर है. देश के हर कोने में होली खेलने का अलग तरीका होता है.उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हिंदू ही नहीं बल्कि सभी धर्म के लोग मिलकर होली मनाते हैं. यहां देवा शरीफ में एक ऐसी मजार है, जहां सभी लोग रंग खेलते हैं.
नई दिल्ली: होली रंगों से भरा एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग दिल खोल कर मनाते हैं. रंगों के साथ अच्छे-अच्छे पकवान बनाए जाते हैं.लोग खुलकर नाच गाना करते हैं और रंग, गुलाल, हंसी, ठिठोली के साथ ये त्योहार मनाते हैं. भारत अपनी संस्कृति के लिए दुनियाभर में मशहूर है. देश के हर कोने में होली खेलने का अलग तरीका होता है.आज होली है और हम आपको कुछ अनोखी होली के बारे में बताएंगे.
बाराबंकी की अनोखी होली
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हिंदू ही नहीं बल्कि सभी धर्म के लोग मिलकर होली मनाते हैं. यहां देवा शरीफ में एक ऐसी मजार है, जहां सभी लोग रंग खेलते हैं. गुलाब और रंगों के साथ सभी धर्म के लोग होली मनाते हैं.ये मजार सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की है और यहां की होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है. देश के कोने-कोने से लोग यहां होली खेलने आते हैं.
यहां मनाई जाती है गालियों वाली होली
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में गालियों वाली होली मनाई जाती है. पीलीभीत के शेरपुर में रंग खेलने के साथ गाली देकर होली मनाते हैं. यहां लोग गाली एक दूसरे को नहीं बल्कि मुस्लिमों को देते हैं. मुस्लिम इस बात से नाराज नहीं होते बल्कि इसे त्योहार का ही एक हिस्सा मानते हैं. नवाबों के गांव शेरपुर का ये रिवाज है.यहां टोलियां गानों के बीच गालियों की बौछार करती हैं.
यहां मनाते हैं कपड़ा फाड़ होली
उत्तर प्रदेश के पूरनपुर में लोग कपड़ा फाड़ होली खेलते हैं.यहां के घुंघचाई में युवाओं की टोली होली खेलती है और जो भी मिल जाए उसके कपड़े फाड़ते हैं. हालांकि महिलाओं के साथ ये हरकत नहीं की जाती. केवल लड़के और पुरुष ही इस तरह की होली मनाते हैं. कपड़ा फाड़ने पर कोई नाराज नहीं होता, बल्कि गले लगकर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं.
करतब के साथ मनती है होली
पंजाब के आनंदपुरा में सिख अनोखी ही होली खेलते हैं. लोग यहां कलाबाजी और करतब दिखाकर होली मनाते हैं. जिले होला मोहल्ला कहा जाता है.
बरसाने की लठमार होली
बरसाने की लठमार होली के बारे में ज्यादातर लोग जानते ही हैं. यहां लोग रंगो के साथ-साथ लठमार होली मनाते हैं.यहां महिलाएं गीत गाते हुए रंग लगाने आए पुरुषों को लठ से पीटती हैं.इसके पीछे भी पुरानी पंरपरा चली आ रही है.