नई दिल्लीः वैवाहिक बलात्कार के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है. दरअसल कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) को दंडनीय माना है और टिप्पणी की है कि शादी क्रूरता का लाइसेंस नहीं है. बता दें कि एक व्यक्ति द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार के आरोपों को हटाने की मांग की गई थी. व्यक्ति पर रेप का आरोप उसकी पत्नी ने ही लगाया था.


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याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्कों को स्वीकार नहीं किया और कहा कि शादी किसी भी पुरुष को विशेषाधिकार नहीं देती है कि वह अपनी पत्नी के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करे. कोर्ट ने कहा कि बलात्कार दंडनीय है तो वह दंडनीय ही रहना चाहिए. जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार को अपवाद की श्रेणी में रखना प्रतिगामी है और यह अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांत के विपरीत है. 


बता दें कि पत्नी की सहमति के बिना उससे जबरन यौन संबंध बनाने को मैरिटल रेप कहा जाता है. मैरिटल रेप को पत्नी के खिलाफ घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न माना जाता है लेकिन देश में इसे आपराधिक कृत्य नहीं माना जाता है. इसे आईपीसी की धारा 375 के तहत अपवाद माना गया है. ध्यान देने वाली बात ये है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने ताजा फैसले में आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 की संवैधानिकता पर कोई निर्देश नहीं दिया गया है.