प्रमोद शर्मा भोपाल: मध्य प्रदेश (MP News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Religion Conversion) से एक बार फिर धर्मांतरण का मामला सामने आया है. बता दें कि यहां पर बिना लाईसेंस के चलाए जा रहे बालगृह में गुपचुप तरीके से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही थी. मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि बालगृह में 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू धर्म की हैं. इनको कैसे यहां लाया जाता था क्या है पूरा मामला जानते हैं. 


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क्या है मामला 
पूरा मामला भोपाल के ‘आंचल चिल्ड्रन होम्स’ से जुड़ा हुआ है. बता दें कि यहां रर बिना लाईसेंस के चलाए जा रहे बालगृह में गुपचुप तरीके से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जा रही थी. बालगृह में 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू धर्म की हैं . बताया जा रहा है कि बाल गृह में बच्चों को बिना सरकार को सूचना दिए लाया जाता था. 


मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने निरीक्षण कर FIR दर्ज करवाई है और मुख्य सचिव को भी आयोग ने नोटिस जारी किया है. मामले पर कानूनगो ने ट्वीट कर कहा- यहाँ की संचालक NGO सरकारी एजेन्सी की तरह चाइल्ड लाइन पार्ट्नर के रूप में कार्यरत रही हैं. काफ़ी कठिनाई के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की है. दुर्भाग्य से मध्यप्रदेश के महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ऐसी ही NGO से चाइल्ड हेल्पलाइन ठेके पर चलवाना चाहते हैं. एफआईआर दर्ज होने के बाद अब देखने वाली बात होगी कि इसपे पुलिस क्या फैसला लेती है. 


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धर्मांतरण पर कानून
बता दें कि मध्य प्रदेश में धर्मांतरण के खिलाफ कानून है. इस कानून के मुताबिक शादी या धोखाधड़ी से कराया गया धर्मांतरण अपराध माना जाएगा और इसके लिए अधिकतम 10 वर्ष की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. किसी को प्रलोभन देकर, धमकाकर या जबरन शादी के नाम पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से धर्म परिवर्तन कराना भी अपराध है.


बता दें कि यह कानून कथित लव जिहाद के खिलाफ भी प्रभावी है. इस कानून में प्रावधान है कि अलग-अलग धर्म के लोगों को शादी के लिए दो महीने पहले सूचना देनी होगी और बगैर सूचना के विवाह को शून्य माना जाएगा. साथ ही धर्म छिपाकर शादी करने पर भी इस कानून में 3 साल से लेकर 10 साल तक की जेल और 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है.