one nation one charger policy: भारत सरकार 'वन नेशन वन चार्जर' के नियम पर तेजी से काम कर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक इस नियम को जल्द ही लागू किया जा सकता हैं. इस फैसले के बाद तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए एक ही चार्जर होगा. इनमें सभी कंपनी के मोबाइल, लैपटॉप,ईयरफोन और दूसरे डिवाइस शामिल हैं. इस संबध में देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रयास चल रहे हैं. इसका मुख्य उद्देश्य धरती से ई -वेस्ट यानि इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम करना है. इससे प्रकृति को तो फायदा पहुंचेगा ही साथ ही पैसों की भी बचत होगी.


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वन नेशन वन चार्जर क्यों है जरूरी ?


जिन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को हम यूज करने के बाद फेंक देते उनमें से अधिकतर को गाड़ दिया जाता है. ई-वेस्ट से निकलने वाले केमिकल हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक है, जिनसे लिवर, किड़नी से जुड़ी बीमारियां और कैंसर का भी खतरा हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में करीब 5.36 करोड़ मीट्रिक टन ई-वेस्ट निकला था. यह 2030 में बढ़कर 7.4 करोड़ मीट्रिक टन पर पहुंच जाएगा। जलवायु परिवर्तन से निपटने के साथ ई- वेस्ट को धरती से कम करना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है. सरकार का लक्ष्य है कि साल 2030 तक 45% तक ई- वेस्ट को खत्म कर दिया जाए. एसे में वन नेशन वन चार्जर से बहुत हद तक ई- वेस्ट को कम किया जा सकता है. इससे अलग-अलग गैजेट के चार्जर रखने का झंझट भी खत्म हो जाएगा.  


कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा ?


फिलहाल ओप्पो, वीवो, शाओमी,सैमसंग, और रियलमी, मोटोरोला ने टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट वाले फोन पर स्विच कर लिया है. एसे में कहा जा रहा है कि इस फैसले का सबसे ज्यादा असर एप्पल कंपनी पर होगा. इसका मतलब यह है कि इसके बाद आईफोन वालों को भी टाइप-सी चार्जर यूज करना होगा. कहा जा रहा है 2023 में सभी कंपनियों को स्विच करना पड़ सकता है. 


दूसरे देश भी अपना रहे सिंगल चार्जर पॉलिसी


इस पहल में सबसे पहले यूरोपीय संघ ने 2024 तक छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए एक यूएसबी-सी पोर्ट को कॉमन चार्जिंग नॉर्म अपनाने का ऐलान किया है. इसी तरह की मांग अमेरिका ने भी की है. अगर भारत में एसा होता है तो लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी. पूरा परिवार एक ही चार्जर इस्तेमाल कर सकेगा साथ ही अतिरिक्त चार्जर के लिए भुगतान भी नहीं करना पड़ेगा.