नई  दिल्लीः केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया है. गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर बैन की वजह भी बताई है. सरकार ने पीएफआई (PFI) के साथ ही उसके सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार ने UAPA एक्ट के तहत पीएफआई पर बैन लगाया है. आइए जानते हैं कि केंद्र सरकार ने किस आधार पर पीएफआई को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है. 


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PFI के इन संगठनों पर लगा बैन
सरकार ने पीएफआई के सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया है. इनमें-
रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्युमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल वीमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन केरल का नाम शामिल है. 


गृह मंत्रालय के नोटिस में कहा गया है कि ये संगठन पीएफआई के सदस्यों के माध्यम से धन जुटाते हैं और सहयोगी संगठनों के सदस्य पीएफआई के भी सदस्य हैं. पीएफआई के सदस्य ही सहयोगी संगठनों के कामकाज की निगरानी और समन्वय करते हैं. 


पीएफआई पर बैन की ये हैं वजह (PFI BAN Reason)
कट्टरवाद को बढ़ावा (radicalization)
गृह मंत्रालय के नोटिस के कहा गया है कि पीएफआई सार्वजनिक तौर पर सामाजिक और राजनीतिक संगठन के रूप में करता है लेकिन यह गुप्त एजेंडे के तहत वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने का काम कर रहा था. नोटिस में ये भी है कि पीएफआई देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ काम कर रहा था, जिससे देश की शांति और सांप्रदायिक सदभाव खराब होने की आशंका है. 


आतंकी संगठनों से नाता (Terrorist organization connection)
नोटिस में कहा गया है कि पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता रहे हैं. पीएफआई का संबंध जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी रहा है. बता दें कि ये दोनों संगठन प्रतिबंधित आतंकी संगठन हैं. इसके अलावा पीएफआई का वैश्विक आतंकी संगठन जैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के साथ संपर्क के भी कई उदाहरण मिले हैं. जिनमें पीएफआई से जुड़े सदस्य आईएसआईएस में शामिल हुए और सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में आतंकी घटनाओं में शामिल हुए.


हिंसा बढ़ाने का आरोप (Communal Violance)
पीएफआई के सदस्यों पर बार बार हिंसक घटनाओं में शामिल होने के आरोप लगे हैं. इनमें एक कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्या करना,प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक जमा करना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल हैं. 


मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप (Money Laundering)
नोटिस में कहा गया है कि पीएफआई के पदाधिकारी बैंकिंग चैनल, हवाला, दान आदि के जरिए सुनियोजित तरीके से साजिश के तहत भारत के बाहर और भीतर पैसा इकट्ठा कर रहे हैं और फिर कई खातों के जरिए उसे वैध दिखाया जा रहा है. नोटिस में कहा गया है कि इस पैसे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आपराधिक और आतंकी कामों में इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात की राज्य सरकारों ने भी पीएफआई पर बैन लगाने की मांग की है. 


सरकार ने नोटिस में कहा है कि अगर पीएफआई पर बैन नहीं लगाया गया तो इससे देश का संवैधानिक ढांचा कमजोर होने और लोक व्यवस्था भंग होने का खतरा है. साथ ही सरकार ने कहा कि एक वर्ग विशेष के लोगों में देश के प्रति असंतोष पैदा करने से रोकने के लिए भी पीएफआई पर बैन लगाया गया है.