Atal Birth Anniversary: यूं ही कोई `अटल` नहीं हो जाता...सुशासन दिवस पर जानें अटल बिहारी वाजपेयी के 5 बड़े फैसले
Atal Bihari Vajpayee Birth anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी देश के पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता हैं, जो 6 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्य करते रहे. आज उनकी जयंती पर जानिए उनके अहम फैसलों और जीवन के बारे में-
अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में 25 दिसंबर 1924 को हुआ था. इनका जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में देश भर में मनाया जाता है.
शिक्षा
अटल की शुरुआती शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में हुई थी. उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं में शिक्षा हासिल की. कानपुर में राजनीतिक शास्त्र में परास्नातक की पढ़ाई की. लॉ करने के लिए भी कानून की पढ़ाई शुरू की थी पर बीच में छोड़नी पड़ी.
करियर
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना करियर पत्रकार के तौर पर शुरू किया था. 1951 में वो जनसंघ में शामिल हो गए, जिसके बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी. उन्होंने कई विदेशी मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था और अपने ज्ञान एवं कौशल का परिचय दिया था.
राजनीति
वे राजनीति में 4 दशकों तक सक्रिय रहे. 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा में चुने गए. प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न जरूरी स्थाई समितियों के अध्यक्ष और सबसे महत्वपूर्ण विपक्ष के नेता के तौर पर अहम भूमिका निभाई.
अहम फैसले
प्रधानमंत्री के तौर पर इनके द्वारा कई अहम फैसले लिए गए. उनमें से सबसे महत्वपूर्ण पोखरन में परमाणु परिक्षण था, जिसने पूरे विश्व को खासकर अमेरिका को अचंभे में डाल दिया था. भारत ने 2 दिनों के अंतराल में 5 परमाणु परिक्षण किए थे.
टेलीकॉम नीति
वाजपेयी जी ने 1999 में BSNL के एकाधिकार को खत्म कर नई टेलीकॉम नीति लागू की थी जिसके बाद लोगों को सस्ती दरों पर फोन कॉल्स की सुविधा मिलने लगी थी.
मूल कर्तव्य
वाजपेयी जी के ही कार्यकाल में सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की गई थी. इस अभियान के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का ऐलान किया था और मूल कर्तव्य के तहत जोड़ा गया था.
स्वर्णिम चतुर्भुज
स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना की शुरुआत भी इन्हीं के कार्यकाल में हुई थी, जिसके तहत पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए सड़कों का जाल बिछाने का फैसला लिया गया था.
लाहौर बस सेवा
लाहौर बस सेवा की शुरुआत भी अटल के कार्यकाल में हुई थी. 1999 में शुरू किए गए इस सेवा में सबसे पहले वे स्वयं गए और तब के पीएम नवाज शरीफ से मिल कर दस्तावेज पर हस्ताक्षर लिए.
भाजपा
16 दिसंबर, 2018 को 95 वर्ष की आयु में इनका निधन हो गया था. अटल ने अपने जीवन काल में ही भाजपा की शुरुआत कर उसे शिखर तक पहुंचाया. इन्हीं फैसलों और लंबे सफर के कारण कहा जाता है कि यूं ही कोई अटल नहीं हो जाता...