Hariyali Teej 2024: इस दिन मनाई जाएगी हरियाली तीज, नोट कर लें सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Hariyali Teej Kab Hai: सनातन धर्म में हरियाली तीज का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव के लिए व्रत रखती हैं. आइए जानते हैं इस साल हरियाली तीज कब मनाई जाएगी.
हिंदू धर्म में हरियाली तीज को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन लोग शिव-पार्वती की पूजा करते हैं. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए मध्य प्रदेश के पंडित सच्चिदानंद त्रिपाठी से जानते हैं इस व्रत की सही तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.
हरियाली तीज व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. सुखी वैवाहिक जीवन, पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं और देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त को पड़ रही है. यह तिथि शाम 7:52 बजे से शुरू होगी और बुधवार, 7 अगस्त को रात 10:05 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त को रखा जाएगा.
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज के दिन विवाहित महिलाएं सुबह 5:46 बजे से 9:06 बजे तक, सुबह 10:46 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक और दोपहर 3:47 बजे से शाम 7:07 बजे तक पूजा कर सकती हैं.
यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है. मान्यताओं के अनुसार, अगर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए इस दिन कठोर व्रत रखती हैं, तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद सुहागिन महिलाओं को नए या साफ कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद भगवान शिव के पास दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें और पूजा करें. व्रत के दिन पूजा से पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी से बनी मूर्ति स्थापित करें. मूर्ति स्थापित करने के बाद विधि-विधान से पूजा करें.
हरियाली तीज पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्। ओम उमामहेश्वराभ्यां नमः