महाराष्ट्र से इंदौर कैसे आया पोहा? किसानों की थाली से VIP रेस्ट्रों तक का सफर
Indori Poha: प्रदेश में सुबह की चाय गुमटियों से लेकर घरों तक पोहे के साथ ली जाती है. कांडा पोहा से लेकर वांगी पोहे तक यूं तो पोहे के कई प्रकार देश की थालियों में मौजूद हैं, पर इंदौरी पोहे का अपना ही रुतबा है. इंदौर के बिना पोहे का अब नाम तक नहीं लिया जाता. तो आइए जानते हैं इंदौर के पोहे की कहानी.
महाराष्ट्र से जुड़ा इतिहास
भारत के कई शहरों में मशहूर इंदौरी पोहे की जड़ें महाराष्ट्र से जुड़ी हुई हैं. इसकी शुरुआत सबसे पहले नागपुर से हुई. बाद में धीरे-धीरे नागपुर से फिर यह पूरे महाराष्ट्र में खाया जाने लगा.
किसानों का नाश्ता
महाराष्ट्र के लोगों की मानें तो पोहा पुराने समय में किसानों का नाश्ता हुआ करता था. यह कम समय में बनकर तैयार हो जाता था. इसलिए किसान इसे खा कर खेत पर जा सकते थे.
हर कोई खा सकता था
चावल को कूटकर तैयार किया गया पोहा, आसानी से पकाया जा सकता है. इसलिए पहले के जमाने में भी हर आय वर्ग का व्यक्ति इसको खा सकता था. इसके लोकप्रिय होने की यह सबसे बड़ी वजह बनी.
सबका पसंदीदा बना
जब पोहा महाराष्ट्र में फैला तो इसके स्वाद से मराठा सरदार भी अछूते नहीं रहे. किसानों की मजबूरी मराठा सरदारों का पसंदीदा नाश्ता बन चुका था.
ऐसे आया मध्य प्रदेश
होलकर और सिंधिया जब मध्य प्रदेश आए तो अपने साथ पोहा और श्रीखंड भी लाए. मालवा में चावल की खेती हो रही थी. इसलिए यह आसानी से उपलब्ध हो जाता था.
ऐसे बना इंदौर का टेस्ट
महाराष्ट्र के पोहे पर इंदौर ने कुछ बदलाव किए. कटी प्याज, टमाटर और मसालों के साथ परोसे जाने वाले पोहे को इंदौरी सेव मिला, जिससे मराठी पोहा इंदौरी पोहा बन गया.
जलेबी का मिला साथ
समय के साथ पोहे को जलेबी का भी साथ मिला और ऐसे आपका पसंदीदा पोहा अपना लम्बा सफर तय करके आपकी प्लेटों तक पहुंचा.
पोहा के प्रकार
पोहा जहां-जहां पहुंचा वहां वहां क्षेत्रीय सामग्री के साथ मिल कर नया अवतार लेता गया. आज देश में कई प्रकार के पोहे हैं. उनमें से कुछ के नाम नागपुरी तार्री पोहा, लाल चावल पोहा, बंगाली पोहा, महाराष्ट्रीयन कांदा पोहा, दही पोहा, कर्नाटक स्टाइल पोहा, गोज्जु अवलक्की पोहा और दादपे पोहा हैं.
कैसे पकाते हैं पोहा
देशभर में मिलने वाले पोहों से अलग इंदौरी पोहे को अन्य सामग्रियों के साथ सीधे पकाने के बजाय भाप में पकाया जाता है. इससे इंदौरी पोहा मुलायम होता है और उसे उसका अलग स्वाद मिलता है.