MP के इस गांव में काटी जाती है रावण की नाक, कई सालों से चली आ रही अनोखी परंपरा

Ratlam News: मध्य प्रदेश के रतलाम में एक ऐसा गांव है जहां लोग दशहरे से छह महीने पहले रावण के पुतले की नाक काटकर उसका वध कर देते हैं. इस गांव में चैत्र नवरात्रि के दौरान रावण के अंत करने की परंपरा सालों से चली आ रही है. इस परंपरा को हिंदू और मुस्लिम दोनों मिलकर निभाते हैं.

रंजना कहार Apr 18, 2024, 22:48 PM IST
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रतलाम के इस गांव में शारदीय नवरात्रि की बजाय गर्मियों में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि में रावण के अंत की परंपरा है. यहां का दशहरा एक और वजह से भी बेहद खास है. क्योंकि यहां हिंदू और मुस्लिम मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं.

 

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रतलाम से करीब 60 किलोमीटर दूर चिकलाना गांव में लोग इस परंपरा को सदियों से निभाते आ रहे हैं. इस गांव के लोगों ने बताया कि चैत्र नवरात्रि की यह परंपरा उनके पूर्वजों के समय से चली आ रही है.

 

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इस परंपरा के तहत गांव के एक प्रतिष्ठित परिवार का व्यक्ति भाले से रावण की मूर्ति की नाक पर वार करता है और प्रतीकात्मक रूप से उसकी नाक काट देता है.

 

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आपको बता दें कि करीब 3500 की आबादी वाला चिकलाना गांव एक हिंदू बहुल इलाका है, लेकिन जो बात इसे बाकी जगहों से अलग करती है वो ये है कि गांव का मुस्लिम समुदाय भी रावण की नाक काटने की परंपरा में पूरे उत्साह से मदद करता है. 

 

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चिकलाना के उपसरपंच पीर मोहम्मद मंसूरी का कहना है कि इस परंपरा में सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं. इस दौरान मुस्लिम समुदाय भी आयोजकों की हरसंभव मदद करता है और पूरे गांव में जश्न का माहौल रहता है.

 

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मोहम्मद मंसूरी ने बताया कि इस वर्ष समिति की ओर से मुस्लिम समुदाय को भी सम्मानित किया गया. पहले हमारे गांव में इस परंपरा के तहत हर साल रावण का मिट्टी का पुतला बनाया जाता था. लेकिन तीन साल पहले हमने लगभग 15 फीट ऊंची एक स्थायी मूर्ति बनाई है जिसमें 10 सिरों वाला रावण सिंहासन पर बैठा नजर आता है.

 

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चैत्र नवरात्रि के दौरान निभाई जाने वाली रावण की नाक काटने की यह परंपरा बेहद अनोखी और अनूठी है, जिसे देखने के लिए अब न केवल रतलाम जिले से बल्कि अन्य जिलों से भी लोग आते हैं.

 

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