Republic Day 2024: MP के इन क्रांतिकारियों ने दी थी देश के लिए कुर्बानी, क्या आप जानते हैं इनके बारे में

Republic Day 2024: देश भर में गणतंत्र दिवस की तैयारियां हो रही हैं. हर कोई इस दिवस को खास बनाने में जुटा हुआ है. इस मौके पर लोग अपने स्कूल कॅालेज में स्पीच देते हैं, साथ ही साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी लोग शामिल हो रहे हैं. इस अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं देश के कुछ उन क्रांतिकारियों के बारे में जो मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं.

अभिनव त्रिपाठी Wed, 24 Jan 2024-2:01 pm,
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चंद्रेशखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा गांव में 23 जुलाई 1906 को हुआ था. इन्होंने देश की आजादी में काफी ज्यादा योगदान दिया था. 1929 को इन्होंने असेंबली में विस्फोट किया था. ये मरते दम तक अंग्रेजों के चंगुल में नहीं आए और जब पूरी तरह से घिर गए तो खुद को इन्होंने गोलियों से उड़ा लिया. 

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टंट्या भील

टंट्या भील निमाड़ क्षेत्र के गौरव और आदिवासियों के मसीहा कहे जाते थे.  बता दें कि इनका जन्म टंट्या भील का जन्म पूर्वी निमाड़ के खंडवा जिले में 1842 में हुआ था. टंट्या वनवासी क्षेत्र के एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आदिवासियों को एकत्र कर क्रांति का बिगुल बजाया था और देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इन्हें 1889 को फांसी दे दी गई थी. 

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कुंवर चैनसिंह

 

कुंवर चैनसिंह नरसिंहगढ़ के राजकुमार थे और इन्हें मध्यप्रदेश का पहला शहीद कहलाने का गौरव प्राप्त है. इन्होंने देश की आजादी के लिए काफी संघर्ष किया था. अंग्रेजों ने बहुत कोशिश की लेकिन कुंवर चैनसिंह अंग्रेजी हुकूमत को अपनाने से मना कर दिया था और संघर्ष किया इन्हें मध्यप्रदेश का मंगल पांडे नाम से भी जाना जाता है.

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रानी अवंतीबाई

रानी अवंतीबाई भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली वीरांगना थीं, रानी अवंतीबाई मध्य प्रदेश के रामगढ़ (वर्तमान मंडला जिला) की रानी थीं, 1857 की क्रांति का बिगुल बजा तो वह अपने स्वाभिमान और राज्य की स्वतंत्रता के लिए अपने देशभक्त सिपाहियों के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ीं. 20 मार्च, 1858 में जब ये पूरी तरह से घिर गई तो इन्होंने तलवार घोंप कर बलिदान दे दिया. 

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बख्तावर सिंह

 

मध्य प्रदेश के क्रांतिकारियों में महाराणा बख्तावर सिंह का भी नाम आता है. ये अमझेरा कस्बे के शासक थे और उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मध्यप्रदेश में अंग्रेजों से लड़ाई की लंबे समय तक लड़ाई करने के बाद अंग्रेजों ने धोखे से उन्हें अपने कैद में कर लिया और 10 फरवरी 1858 मैं इंदौर के महाराजा यशवंत चिकित्सालय परिसर में स्थित नीम के पेड़ में फांसी दे दी गई  थी. 

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भीमा नायक

 

 

भीमा नायक ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष किया था. अंग्रेज सरकार द्वारा इनके खिलाफ दोष सिद्ध होने पर उन्हें पोर्ट ब्लेयर व निकोबार में रखा गया था, इनकी भीमा नायक की मृत्यु 29 दिसंबर 1876 को पोर्ट ब्लेयर में हुई थी. भीमा नायक को निमाड़ का राबिनहुड़ कहा जाता था. 

 

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शहादत खान

 

शहीद सआदत खां इंदौर रियासत के महाराजा तुकोजीराव होलकर (द्वितीय) के फौजी थे. 1 जुलाई 1857 को सआदत खां के नेतृत्व में क्रांति कि तोपें गड़गड़ा उठीं और देश की आजादी के लिए इन्होंने खूब संघर्ष किया. इनका नाम आज भी क्रांतिकारियों में गिना जाता है. 

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