क्या था आर्टिकल-370, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया सुप्रीम फैसला

Article 370: आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद था जो जम्मू और कश्मीर के विशेष स्थान को स्थापित करने के लिए बनाया गया था.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Mon, 11 Dec 2023-12:04 pm,
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वैधानिकता

आर्टिकल 370 फिर से चर्चा में हैं. आज यानि 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट इसकी वैधानिकता को लेकर कोई फैसला करने वाले हैं. आइए जानते है अनुच्छेद 370 क्या था, कब लाया गया और इसके कुछ प्रावधानों के बारे में-

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आर्टिकल-370

अनुच्छेद-370 तहत जम्मू-कश्मीर को कुछ अस्थाई विशेषाधिकार दिए गए थे, जिससे वो भारत संघ में सम्मिलित होने के बाद अपने प्रदेश के कुछ विषयों पर अपना कानून को लागू कर सकता था.  

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भारतीय संविधान

जम्मू-कश्मीर को ये सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था कि भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्य में लागू होना चाहिए या नहीं. 

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अस्थाई प्रावधान

17 अक्टूबर 1949, को ये भारतीय संविधान का हिस्सा बना और इसे अस्थाई प्रावधान के रूप में जोड़ा गया, जिसने जम्मू-कश्मीर को ये छूट दी कि अपने संविधान का निर्माण कर सके और भारतीय संसद की विधायी शक्तियों को प्रतिबंधित कर सके. 

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संविधान

इसे संविधान के प्रारूप में एन गोपालस्वामी अय्यंगार द्वारा प्रस्तुत किया गया था. राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को भंग कर दिया गया था.

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धारा 370

धारा 370 के अनुच्छेद 3 में भारत के राष्ट्रपति को अपने प्रावधानों और दायरे में संशोधन करने की शक्ति दी गई थी. 

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अनुच्छेद 35A

अनुच्छेद 35A अनुच्छेद 370 से उपजा है और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश पर 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश के माध्यम से लागू किया गया था. 

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जम्मू-कश्मीर विधायिका

अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर विधायिका को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार देता था. 

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5 अगस्त 2019

5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया.  इसके साथ ही, जम्मू और कश्मीर को समान रूप से भारत संघ का हिस्सा बना दिया गया और उस पर सामान्य संविधान की धाराएं लागू की गईं.

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आज के फैसले में क्या कहा गया

CJI ने कहा कि 370 को हटाने का अधिकार जम्मू-कश्मीर के एकीकरण के लिए है. असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ अपील में सुनवाई नहीं कर सकते. CJI ने कहा-इसे रद्द नहीं किया जा सकता है.

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