Pandit Pradeep Radha Rani Controversy: राधा रानी और तुलसीदास विवाद से घिरे हुए सीहोर के कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने शनिवार को मधुरा के बरसाना में राधा रानी के आगे माफी मांगी. पंडित प्रदीप मिश्रा माफी मांगने के लिए बरसाना के राधा रानी मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने राधा रानी के सामने दंडवत प्रणाम किया और नाक रगड़कर माफी मांगी. इसके बाद पं. प्रदीप मिश्रा ने सभी ब्रजवासियों का भी आभिवादन किया. विरोध को देखते हुए पं. प्रदीप मिश्रा की सुरक्षा के लिए भारी बल तैनात किया गया था.


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पंडित प्रदीप मिश्रा 5 मिनट तक बरसाना में रहे. यहां उन्होंने राधा-रानी से दंडवत प्रणाम किया और नाक रगड़कर माफी मांगी. उन्होंने कहा-सभी ब्रजवासियों को बहुत-बहुत बधाई. राधा-रानी के दर्शन करने के लिए यहां पधारा हूं. मैं ब्रजवासियों के प्रेम की वजह से यहां आया हूं. लाडली जी ने खुद ही इशारा कर मुझे यहां बुलाया, इसलिए मुझे यहां आना पड़ा. उन्होंने कहा- मेरी वाणी से किसी को ठेस पहुंची, तो उसके लिए माफी मांगता हूं. मैं ब्रजवासियों के चरणों में दंडवत प्रणाम कर माफी मांगता हूं. मैंने लाडली जी और बरसाना सरकार से क्षमा चाहता हूं. सभी से निवेदन है कि किसी के लिए कोई अपशब्द न कहें. राधे-राधे कहें, महादेव कहें. मैं सभी महंत, धर्माचार्य और आचार्य से माफी मांगता हूं.


कहां से शुरू हुआ था विवाद
पं. प्रदीप मिश्रा ने अपनी पुरानी किसी कथा पर राधा रानी पर टिप्पणी की थी. इस टिप्पणी का वीडियो कुछ दिन पहले खूब वायरल हुआ. इस वीडियो में प्रदीप मिश्रा अपने प्रवचन में कह रहे थे- राधा जी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थीं. बरसाना में तो राधा जी के पिता की कचहरी थी, जहां वह सालभर में एक बार आती थीं. वर्ष में एक बार जाने की वजह से बरसाना नाम पड़ा. राधा के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था. राधा जी का विवाह छाता में हुआ था. 


भड़क गए थे प्रेमानंद महाराज
सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज ने प्रदीप मिश्रा के बयान का विरोध किया था. प्रेमानंद महाराज ने कड़े लहजे में मिश्रा को फटकार लगाई थी. उन्होंने कहा- लाड़ली जी के बारे में तुम्हें पता ही क्या है? तुम जानते ही क्या हो? अगर तुम किसी संत के चरण रज का पान करके बात करते तो तुम्हारे मुख से कभी ऐसी वाणी नहीं निकलती. जैसा वेद कहते हैं, राधा और श्रीकृष्ण अलग नहीं हैं. तुझे तो शर्म आनी चाहिए. जिसके यश का गान करके जीता है, जिसका यश खाता है, जिसका यश गाकर तुझे नमस्कार और प्रणाम मिलता है, उसकी मर्यादा को तू नहीं जानता.