मोहित सिन्हाः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बेटे द्वारा अपनी ही मां की गोली मारकर हत्या करने की घटना से पूरा देश स्तब्ध है. अब इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है कि आरोपी नाबालिग बेटे द्वारा गोली मारने के बाद कई घंटे तक मां तड़पती रही थी. हैरानी की बात ये है कि इस दौरान आरोपी बेटा मां को तड़पते देखता रहा और बार-बार दरवाजा खोलकर यह चेक करता रहा कि मां की मौत हुई या नहीं!


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इसके अलावा यह भी चौंकाने वाली बात है कि आरोपी बेटे ने मां की हत्या के बाद अपने दोस्त के साथ पार्टी भी की और वह बिल्कुल सामान्य बना रहा. एक नाबालिग का ऐसा हिंसक और खतरनाक बिहेवियर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है. बता दें कि जांच में खुलासा हुआ है कि मां ने बेटे को PUBG खेलने से मना किया था और इसी बात से नाराज होकर बेटे ने इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया. ऐसे में आज हम बात करेंगे कि मोबाइल गेम किस तरह से युवा मन को बीमार बना रहे हैं और इनके क्या-क्या नुकसान हैं.


रिसर्च में हुआ है चौंकाने वाला खुलासा
Frontiers in Human Neuroscience में छपे एक लेख के अनुसार, अध्ययन में पता चला है कि वीडियो गेम इंसानी दिमाग की कार्यक्षमता और यहां तक कि उसकी बनावट को भी बदल सकते हैं. रिसर्च में पता चला है कि वीडियो गेम खेलने वाले लोगों के दिमाग का विजुअल करने वाला हिस्सा थोड़ा बड़ा हो सकता है. साथ ही वीडियो गेम खेलने की लत भी लग सकती है, जिसे 'इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर' कहा जाता है. 


भारत में फ्री फायर, PUBG जैसे मोबाइल गेम बेहद लोकप्रिय हैं. देश में इन गेम्स को खेलने वालों की तादाद करोड़ों में है. हालांकि हाल के समय में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनकी वजह से इन वीडियो गेम्स को लेकर चिंता उभरने लगी हैं. इंसानी दिमाग को इन वीडियो गेम से होने वाले कुछ प्रमुख नुकसान निम्न हैं.


हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा
वीडियो गेम इंसानों में हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं. पबजी गेम खेलने वाले युवाओं में हिंसा का असर बढ़ रहा है. जिसके चलते उनके मन में बहुत सारे विचार आते हैं और भावनात्मक रूप से भी वह काफी अग्रेसिव हो जा रहे हैं. इसका सीधा असर वीडियो गेम खेलने वाले व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. 


वीडियो गेम की लत
आजकल युवा दिन के कई घंटे वीडियो गेम खेलने में बिता रहे हैं. खासकर स्मार्टफोन आने के बाद तो यह समस्या और भी बढ़ गई है. इसका असर ये हो रहा है कि युवाओं को वीडियो गेम की लत लग रही है. कई देशों में तो वीडियो गेम की लत छुड़ाने के लिए डिएडिक्शन क्लीनिक भी खुल गए हैं.  


सामाजिक जीवन के लिए खतरा
वीडियो गेम खेलने वाले युवा अपना खाली समय अक्सर मोबाइल के साथ ही बिताते हैं. जिसके चलते युवाओं का सामाजिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. गेमिंग के शौकीन युवा दोस्तों और परिजनों के साथ कम समय बिताते हैं. ऐसे में गेमिंग के शौकीन लोगों में तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं. 


इन सबके अलावा वीडियो गेम के शौकीन लोग कम नींद ले पाते हैं. जो भी वह नींद लेते हैं, उसकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं है. जिसका असर ये होता है कि ये युवा एक समय के बाद अनिद्रा की बीमारी की शिकार हो जाते हैं. अनिद्रा की समस्या मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करती है और आखिरकार ये समस्या किसी बीमारी का रूप ले लेती है. साथ ही युवाओं में एकाग्रता की कमी हो रही है, जिससे उनकी पढ़ाई का भी नुकसान हो रहा है. ऐसे में यही समय है जब परिजन वीडियो गेम से होने वाले नुकसान को गंभीरता से लें और कोशिश करें कि उनके बच्चे वीडियो गेम की लत के शिकार ना हो जाएं और जिस तेजी से यह समस्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए इस दिशा में जल्द से जल्द पहल करने की जरूरत है!