नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बीच फंगस की बीमारी भी महामारी के रूप में उभर रही है. देशभर में हजारों कोरोना मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं. ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस और येलो फंगस से भी संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोरोना मरीज 5 गलतियों के कारण इन फंगस की चपेट में आ रहे हैं. तो ऐसे में अगर आपको फंगस संक्रमण से बचना है तो निम्न बातों का रखें खास ध्यान-


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फंगस इंफेक्शन होने के ये हैं 5 कारण
पहला कारण

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, फंगस आमतौर पर 25-27 डिग्री सेल्सियस पर सबसे ज्यादा सक्रिय रहता है. ऐसे में आजकल लोगों के एयरकंडिशनर में रहने के कारण फंगस को इंसानी शरीर में ग्रोथ के लिए मनमुताबिक तापमान मिल रहा है. जिसके कारण यह इंफेक्शन बढ़ रहा है. 


दूसरा कारण
स्वास्थ्य सेवाओं और कर्मचारियों पर इन दिनों का काम का इतना दबाव है कि वह अपने मेडिकल उपकरणों को ठीक से विसंक्रमित (Sterlize) भी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में फंगस इन उपकरणों पर रह जाता है और जब उन उपकरणों को मरीज के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है तो फंगस इंसानी शरीर में प्रवेश कर जाता है और वहां अपनी ग्रोथ शुरू कर देता है. 


तीसरा कारण
तीसरा कारण ऑक्सीजन सिलेंडर की ट्यूब को सही तरीके से साफ नहीं करने के कारण भी फंगस का इंफेक्शन तेजी से कोरोना मरीजों में फैल रहा है. दरअसल ऑक्सीजन और नमी के कारण जिस ट्यूब से मरीजों को ऑक्सीजन दी जाती है, उसमें फंगस पनप जाते हैं. जब वही ट्यूब बिना ठीक से साफ करे मरीजों को ऑक्सीजन देने में इस्तेमाल होती है तो फंगस मरीजों के शरीर में प्रवेश कर जाता है. 


चौथा कारण
कोरोना मरीज की इम्यूनिटी इंफेक्शन और स्टेरॉयड के इस्तेमाल से कमजोर हो जाती है. ऐसे में कमजोर इम्यूनिटी के चलते शरीर फंगस को खत्म नहीं कर पाता. यह कोरोना मरीजों में फंगस इंफेक्शन होने की प्रमुख वजह मानी जा रही है. 


पांचवा कारण
पांचवा कारण दवाईयों के चलते मरीजों के शरीर में जिंक, आयरन आदि की पर्याप्त मात्रा पहुंच रही है. जांच में पता चला है कि येलो फंगस जिंक के कारण पनपता है. वहीं ब्लैक फंगस आयरन के कारण तेजी से पनपता है. ये भी वजह है कि कोरोना मरीजों में फंगस इंफेक्शन के मामले बढ़ रहे हैं. 


ऐसे करें बचाव
बचाव का तरीका सीधा सा है कि हमेशा एयरकंडिशनर में रहने वाले मरीज थोड़ा सामान्य तापमान में भी समय गुजारें. साथ ही मेडिकल उपकरणों, ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप की समय समय पर अच्छी तरह से सफाई की जाए. जो मरीज स्टेरॉयड ले रहे हैं, उनकी समय समय पर जांच की जाती रहे. घरों में पानी की टंकी को नियमित रूप से साफ करें क्योंकि वहां पर काफी मात्रा में फंगस पाया जाता है.