Shivraj Singh Chauhan: क्यों शिवराज सिंह चौहान को मिल सकती है राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कमान, ये हो सकते हैं 5 कारण
MP Politics: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नई जिम्मेदारी क्या होगी, इसको लेकर सियासी गलियारों में कयासों का बाजार गर्म है. जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद शिवराज ने भी बड़ा बयान दिया था.
Shivraj Singh Chauhan: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी ने लगभग सभी नेताओं की जिम्मेदारियां तय कर दी हैं. मोहन यादव को सीएम, राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा को डिप्टी सीएम बनाया गया है. जबकि और बड़े नेताओं के मंत्रिमंडल में एडजस्ट करने की बात सामने आ रही है. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हो रही है. उन्होंने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी. जिसके बाद बयान में कहा था कि वह दक्षिण भारत के राज्यों का दौरा करेंगे. जिससे माना जा रहा है कि उन्हें बीजेपी दक्षिण की जिम्मेदारी सौंप सकती है. लेकिन शिवराज सिंह चौहान को ही दक्षिण के राज्यों की जिम्मेदारी क्यों दी जा सकती है इसके पीछे की वजह बेहद खास हो सकती है.
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की चल रही चर्चा
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हैं कि शिवराज सिंह चौहान को पार्टी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है. क्योंकि 2018 के चुनाव में बीजेपी की हार के बाद भी शिवराज सिंह चौहान को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ही बनाया गया था. हालांकि वह जब फिर मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार फिर शिवराज इसी जिम्मेदारी में नजर आएंगे. लेकिन इस बार काम दक्षिण भारत का मिल सकता है. हालांकि अब तक यह बात सिर्फ कयासों में हैं.
क्या दक्षिण भारत की मिल सकती है कमान
सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि
शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के उन नेताओं में शामिल हैं, जिनकी छवि सॉफ्ट हिंदुत्व की रही है. दक्षिण भारत की राजनीति सॉफ्ट हिंदुत्व वाली ही रही है. शिवराज के बयान नपे तुले होते हैं, वह धार्मिक विवादों में कभी नहीं फंसते जबकि लोगों से सीधी और सहज मुलाकात करते हैं. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के जरिए बीजेपी दक्षिण के राज्यों में अपनी जड़े जमाने की कोशिश कर सकती है, जिसमें उनका अहम रोल हो सकता है.
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दक्षिण में सक्रिए रहे हैं शिवराज
शिवराज सिंह चौहान ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए भी दक्षिण भारत के राज्यों में अपनी सक्रियता बरकरार रखी है. वह लगातार दक्षिण भारत में आने वाले मंदिरों और मठों में जाते रहे हैं. साल में उनके चार से पांच दौरे दक्षिण के होते थे. ऐसे में वहां की आध्यम और उससे उनका सीधा जुड़ाव माना जाता है. खासकर कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में बीजेपी खुद को मजबूत करना चाहती है. ऐसे में शिवराज यहां मुफीद साबित हो सकते हैं. क्योंकि कर्नाटक को छोड़कर बीजेपी को तमिलनाडु और आंध्र में अपनी जड़े मजबूत करनी हैं.
ओबीसी वर्ग के बड़े नेता
शिवराज सिंह चौहान 16 साल से भी ज्यादा वक्त तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. ओबीसी वर्ग से आने वाले नेता के तौर उनकी पहचान देशभर में हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीजेपी की राजनीति फिलहाल जातिगत ही चल रही है, जिसमें ओबीसी वर्ग सबसे अहम माना जा रहा है. ऐसे में दक्षिण भारत के राज्यों में अगर शिवराज का जलवा चलता है तो यह बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है.
संगठन का अच्छा अनुभव
शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जिनके पास सत्ता के साथ-साथ संगठन चलाने का भी लंबा अनुभव रहा है. वह बीजेपी के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी में कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं. ऐसे में बीजेपी अब शिवराज का रुख संगठन की तरफ करा सकती है. खास बात यह है कि उन्हें सियासत में हमेशा टफ टास्क दिए जाते रहे हैं. ऐसे में दक्षिण भारत की जिम्मेदारी देना भी इसके पीछे की एक वजह हो सकती है.
लोकप्रियता
बतौर मुख्यमंत्री 16 साल से भी ज्यादा के कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान की छवि एक लोकप्रिय नेता की बन चुकी है. मध्य प्रदेश ही नहीं देशभर में अब उन्हें 'मामा' के नाम से जाना जाता है. दूसरे राज्यों में होने वाले चुनावों में उनकी सभा में अच्छी भीड़ जुटती है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में यह नजारा दिख चुका है. बीजेपी को दक्षिण भारत में ऐसे चेहरे की जरुरत हैं जो लोकल नेताओं के साथ एक अच्छी टीम खड़ी कर सकें. इस काम को शिवराज बखूबी पूरा सकते हैं. ऐसे में बीजेपी दक्षिण में उनकी लोकप्रियता को भुना सकती है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भले ही शिवराज सिंह चौहान के पास फिलहाल कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है. लेकिन ज्यादा दिन तक उनको इस तरह नहीं रखा जा सकता है. इसलिए बीजेपी ने उनकी नई जिम्मेदारी तो कुछ न कुछ तय की ही होगी. जिस पर से पर्दा जल्द ही हट सकता है.
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