सिलगेर: 28 दिनों से जारी सिलगेर कैम्प और गोलीकांड का विरोध पर आज विराम लग गया है. कई दौर की बातचीत के बाद आज ग्रामीणों ने आमसभा और आंदोलन को तरेम में खत्म कर दिया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

घर में प्रिंटर से 2000, 500, सौ के नोट छापता, खपाने के लिए गांव वालों को फंसाता


बता दें कि करीब 10 हजार से ज्यादा लोग आज दक्षिण बस्तर के अलग अलग हिस्से से तरेम पहुंचे थे. जहां ग्रामीणों के हुजूम के बीच लाउडस्पीकर पर नारो और तालियों की गड़गड़ाहड़ के साथ आन्दोलन को यहां से स्थगन करने का निर्णय लिया गया है. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और गोंडवाना समन्वय समिति के अध्यक्ष बोरैया तेलम ने इस पूरे आन्दोलन में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका अदा की है. हालांकि आंदोलनकारियों ने आज दो दौर की बातचीत के बाद कैम्प हटाने और गिलिकाण्ड में दोषियों पर कार्यवाही करने की मांग को दोहराया गया है. 


कोरोना और बारिश की वजह से आंदोलन खत्म
सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने बताया कि जिस तरह से कोरोना महामारी पैर पसार रहा है और बारिश की वजह से खेती का समय है.  जिसकी वजह से तरेम में आन्दोलन को विराम दिया जा रहा है. देर शाम तक सभा मे पहुंची भीड़ ट्रैक्टरों से अपने गांवों की ओर लौट गई है.


सुकमा में करेंगे आंदोलन कम लोगों के साथ
 वहीं विशाल जनसभा के बीच स्पष्ठ तौर पर इस विरोध को सुकमा में धरने की शक्ल में जारी रखने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि सिलगेर सुकमा जिले में आता है और पूरी दस्तावेजी और कानूनी लड़ाई सुकमा में ही लड़ी जा सकती है.


क्यों हो रहा था आंदोलन?
गौरतलब है कि बीजापुर के सिलेगर में ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप का विरोध दर्ज कराने के लिए पहुंचे थे. विरोध के दौरान सुरक्षाबलों की तरफ से फायरिंग हुई थी. इसमें तीन ग्रामीणों की मौत हुई थी. पुलिस ने तीनों मृतकों की शिनाख्त नक्सली के रूप में की थी. इसके बाद सिलगेर में विरोध और बढ़ गया, तभी इसने आंदोलन की शक्ल ले ली..