नई दिल्ली. हौसलें अगर बुलंद हों तो मंजिलें आसान हो जाती हैं. कुछ कर गुजरने का जज्बा अगर हममें हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता. हमारी जिंदगी का हर पल इम्तिहानों से भरा होता है. कदम-कदम पर मुश्किलों का सामना होता है और मुश्किलों से भाग जाना तो आसान होता है, लेकिन सामना करने वालों के कदमों में जहां होता है. ऐसी ही कुछ कहानी है भारत बांग्लादेश सीमा पर ड्यूटी देने वाले वर्ष 2019 में आईएएस अधिकारी बने हरप्रीत सिंह की. उनकी कहानी बताती है कि निरंतर कोशिश, लगन और कड़ी मेहनत से कुछ भी असंभव नहीं है. इसी का नतीजा है कि ड्यूटी के बाद बचे समय में तैयारी करके उन्होंने यूपीएससी क्रैक कर AIR 19वीं रैंक पाई.


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हरप्रीत सिंह की इस सफलता के पीछे उनका एक लंबा संघर्ष रहा है. जो किसी को भी प्रेरित करने वाला है. यूपीएससी की तैयारी का उनका सफर 2013 में शुरू हुआ था. हरप्रीत ने आईबीएम में भी कुछ दिन जॉब की थी. लेकिन हमेशा से उनका एक ही लक्ष्य था IAS बनने का. पंजाब के लुधियाना से ताल्लुक रखने वाले हरप्रीत सिंह ने 2016 में असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर बीएसएफ ज्वाइन किया था. 


ज्वाइनिंग के कुछ दिन बाद ही उनकी तैनाती भारत-बांग्लादेश सीमा पर हो गई. ड्यूटी के दौरान जब उन्हें टाइम मिलता था. वे यूपीएससी की तैयारी करते थे. इसका नतीजा यह हुआ कि उन्होंने 5वें प्रयास में यह ही सफलता हासिल कर ली. हरप्रीत बताते हैं कि आईएएस बनने का लक्ष्य उनके दिमाग में बिल्कुल साफ था. कोई भी चीज उन्हें भटका नहीं सकती थी. उन्होंने अपनी सफलता का मूल मंत्र दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत को बताया.


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हरप्रीत सिंह कहते हैं कि हमें अपने सपनों का पीछा कभी नहीं छोड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2017 में जब वे यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए थे. उस वक्त उन्हें 454वीं रैंक मिली थी. जिसकी वजह से उनका चयन ट्रेड सर्विस के लिए हुआ था. जिसके बाद उन्होंने बीएसएफ की नौकरी छोड़कर ट्रेड सर्विस ज्वाइन कर लिया था. लेकिन 2019 में उन्होंने फिर परीक्षा दी और उन्हें 19वीं रैंक मिली. 


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