नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए घोषित बजट में वाहन कबाड़ नीति (वाहन स्क्रैप पॉलिसी-Vehicle Scrappage Policy) का ऐलान किया है. यह पॉलिसी नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी कि एक अप्रैल से देशभर में लागू हो जाएगी. इस पॉलिसी के तहत 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों अगर तय मानक से ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं तो उन्हें कबाड़ कर दिया जाएगा. वहीं निजी वाहनों के लिए यह सीमा 20 साल होगी. सरकार की इस पॉलिसी से देशभर में लाखों वाहन कबाड़ हो सकते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पॉलिसी कैसे करेगी काम? 
इस पॉलिसी के तहत सरकार जगह-जगह ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर खोलेगी. जहां इस बात की जांच की जाएगी कि कोई वाहन सड़क पर दौड़ने के काबिल है या नहीं या फिर उसे कबाड़ घोषित कर दिया जाए. जांच में यह चेक किया जाएगा कि कोई वाहन कितना प्रदूषण फैला रहा है.


कमर्शियल वाहनों को 15 साल बाद और निजी वाहनों को 20 साल बाद यह जांच करानी होगी, जिसके लिए वाहन मालिक को 40 हजार रुपए खर्च करने होंगे. इसमें रोड टैक्स और ग्रीन टैक्स भी शामिल है. जांच में सही पाए जाने पर आप अपनी गाड़ी को पांच साल और इस्तेमाल कर सकते हैं. 5 साल बाद फिर से जांच करानी होगी. 


अगर आपका वाहन फिटनेस टेस्ट पास नहीं कर पाता है तो उसे सड़क पर चलने की अनुमति नहीं होगी. अभी इस पॉलिसी से संबंधित विस्तृत गाइडलाइन जारी नहीं की गई हैं. जिनके जारी होते ही आपको पॉलिसी से संबंधित पूरी जानकारी दे दी जाएगी. 


क्या है Vehicle Scrappage Policy का उद्देश्य?
देश में वाहन स्क्रैप नीति का लाने की वजह बढ़ता वायु प्रदूषण माना जा रहा है. दरअसल पुराने वाहन वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं. इसके साथ ही सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा देना चाहती है. सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर छूट भी दे रही है.