ददन विश्वकर्मा/नई दिल्ली: पिछले दो पार्ट में हमने अपको क्रिप्टोकरेंसी की एबीसीडी के बारे में बताया था. पहले पार्ट में हमने आपको Cryptocurrency की पूरी एबीसीडी के बारे में बताया था. दूसरे पार्ट में भारत में इसकी संभावनाओं पर जानकारी दी थी. तीसरे पार्ट में हम cryptocurrency के उस तकनीक के बारे में बता रहे हैं जिसके जरिए यह चलती है. यानी हम बता रहे हैं Blockhain के बारे में.


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बिटकॉइन क्या है?
जैसा कि हमने पहले के दोनों पार्ट में Bitcoin का नाम लिया है. यह एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है. क्रिप्टोकरेंसी यानी कि वर्चुअल करेंसी. जोकि ब्लॉकचेन से चलती है. पिछले कुछ महीनों से बिटकॉइन नाम हर किसी ने सुना है. यह जानकर आप हैरान भी होंगे कि साल 2020 जहां देश-दुनिया के लिए परेशानियों भरा साल था तो वहीं दूसरी और बिटकॉइन ने इसी साल अपना All Time High बनाया. Bitcoin के वैल्यू का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 2010 में 1 Bitcoin की कीमत महज 0.06 अमेरिकी डॉलर (लगभग 2.85 रुपये) से भी कम थी, लेकिन अब एक Bitcoin की कीमत 30 लाख रुपये है. हमारे एक्सपर्ट क्षितिज बताते हैं कि यह Blockchain की वजह से हो पाया है. क्योंकि ब्लॉकचेन की वजह से ये इतना कीमती, सिक्योर और पॉपुलर है. 


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क्या कहना है एक्सपर्ट का?
अब आप सोच रहे होंगे कि ये ब्लॉकचेन क्या है? इसके जवाब में क्षितिज बताते हैं कि यह दो शब्दों से मिलकर बना है. पहला ब्लॉक (Block) और दूसरा चेन (Chain) यानी की श्रृंखला. ब्लॉक का मतलब ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में बहुत सारे डेटा ब्लॉक से है. मतलब इन ब्लॉक्स में क्रिप्टोकरेंसी यानी की डेटा रखा जाता है. अलग-अलग बॉक्स में करेंसी यानी डेटा होते हैं, और ये एक-दूसरे जुड़े होते हैं. डेटा की एक लंबी चैन बनते जाती है. जैसे ही नया डेटा आता है, उसे एक नए ब्लॉक में दर्ज किया जाता है. एक बार जब ब्लॉक डेटा से भर जाता है तो इसे पिछले ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है. इसी तरह सारे ब्लॉक्स एक-दूसरे जुड़े रहते हैं.


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Part-2: Cryptocurrency को लेकर क्या है केंद्र सरकार का रुख, भारत में लीगल होगी या लगेगा बैन?


डेटा क्या होता है?
हर एक ब्लॉक में डेटा, हैश और पिछले ब्लॉक का हैश होता है. अब ये तीनों चीजें क्या हैं. ये भी जान लीजिए. Bitcoin ब्लॉकचेन में जो डेटा रहता है उसमें ट्रांजैक्शन की डीटेल्स होती हैं. सेंडर, रीसिवर और अकाउंट जैसी जानकारियां इसमें दर्ज रहती हैं. इन Data Blocks में क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी के जरिए डेटा को Encode किया जाता है और ये ब्लॉक एक-दूसरे जुड़कर लंबी चैन बनाते हैं. प्रत्येक Block में उसके पिछले Block का एक cryptographic hash, एक टाइमस्टैम्प और लेनदेने का डेटा होता है. हर एक ब्लॉक अपने अगले ब्लॉक से कनेक्टेड होता है. 


Hash क्या होता है?
हैश को आप बायोमेट्रिक की तरह समझ सकते हैं जो हर किसी के लिए युनीक होता है. यानी यह एक तरह का कोड होता है. यह आपके Thumb इम्प्रेशन की तरह युनीक होता है. अगर Block में किसी तरह का बदलाव हुआ तो ये हैश यानी कोड बदल देता है. सभी ब्लॉक्स एक दूसरे से वर्चुअली कनेक्टेड होते हैं. ये एक तरह से ऐसा सिस्टम है जिसमें छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं है. अगर आप एक ब्लॉक का डेटा बदलेंगे, दो फिर आपको दूसरे ब्लॉक का भी डेटा बदलना होगा.  


हैश खोजने के बाद क्या होता है?
जब कोई माइनर पुख्ता hash खोजकर ब्लॉक सिक्योर कर देता है तो उसे ब्लॉकचेन से जोड़ दिया जाता है और नेटवर्क में दूसरे नोड (Compuers) के जरिए उसे वेरिफाई किया जाता है. इस प्रक्रिया को आम सहमति (consensus) कहा जाता है. 


आम सहमति मिलने के बाद क्या होता है?
अगर consensus हो गया समझिए ब्लॉक के सिक्योर होने की पुष्टि हो गई. वह सही पाया जाता है तो उसे सिक्योर करने वाले माइनर को क्रिप्टोक्वॉइन (cryptocoin) दे दिए जाते हैं. यह एक रिवार्ड है जिसे काम का सबूत माना जाता है.


क्रिप्टो माइनिंग क्या होती है?
क्रिप्टोग्राफी के जरिए खरीदी को क्रिप्टो माइनिंग (Cryptocurrency Mininig) कहा जाता है क्योंकि हर जानकारी का डिजिटल रूप से डेटाबेस तैयार करना पड़ता है. जिनके द्वारा यह माइनिंग की जाती है, उन्हें माइनर्स कहा जाता है. 


क्या इसे हैक या टैंपर किया जा सकता है?
ब्लॉकचेन का इस्तेमाल सिर्फ Bitcoin जैसी करेंसी में ही नहीं, बल्कि कई और भी सेक्टर्स में हो सकता है और होता भी है. ये एक सिक्योर, सेफ और डीसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है जिसे हैक या टैंपर करना लगभग नामुमकिन है. लेकिन हैकर्स कुछ भी कर सकते हैं.


Blackchain Technology क्या है?
इसके जवाब में गौरव गर्ग कहते हैं कि यह एक तरह की एक्सचेंज प्रोसेस है. जोकि डेटा ब्लॉक पर चलती है. प्रत्येक ब्लॉक एंक्रिप्शन के द्वारा सुरक्षित होते हैं क्योंकि यह ब्लॉक एक दूसरे से इलेक्ट्रॉनिक के माध्यम से एक दूसरे से कनेक्ट रहते हैं. यह बहुत पुरानी तकनीक है. इसका सबसे पहले 1991 में स्टुअर्ट हबर और डब्ल्यू स्कॉट स्टोर्नेटो ने अपनाया था. इसका तकनीक का मुख्य उद्देश्य डिजिटल डॉक्यूमेंट्स को टाइमस्टैम्प करना था, ताकि इसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न की जा सके. इसके बाद 2009 में सतोशी नाकामोतो ने ब्लॉकचेन का इस्तेमाल कर Bitcoin का आविष्कार करके दुनिया में क्रांति ला दी. 


Bitcoin और Blockchain में अंतर क्या है?
Blockchain Technology और Bitcoin दोनों में जमीन-आसमान का जैसा फर्क है. यानी दोनों पूरी तरह से अलग हैं. दरअसल, ब्लॉकचेन एक टेक्नोलॉजी, एक प्लेटफॉर्म है जहां ना सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्की किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर हैं. वहीं Bitcoin एक डिजिटल माध्यम है, जिसके जरिए कुछ चीजें बेंची और खरीदी जा सकती हैं. हालांकि इसे करेंसी कहना गलत हैं, क्योंकि इसकी असल दुनिया में कोई वैल्यू नहीं हैं. क्षितिज कहते हैं कि हालांकि, बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी का सिर्फ एक उदाहरण है; अन्य क्रिप्टोकरेंसी नेटवर्क भी ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा संचालित होते हैं.


क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चीन में क्या चल रहा है?
हाल के हफ्तों में, चीन ने कम से कम पांच प्रांतों या क्षेत्रों में कोयला या पनबिजली से समृद्ध क्षेत्रों में परिचालन बंद करके क्रिप्टो mining पर कड़ा रुख अपनाया , विशेषज्ञको का मानना है कि चीन की अपनी पर्यावरण नीति क्रिप्टो mining कार्रवाई में एक महत्वपूर्ण कारक है। विशेष रूप से, चीन की कार्बन तटस्थता नीति ने कोयले से चलने वाली बिजली में भारी कमी के कारण देश के भीतर ऊर्जा की कमी पैदा कर दी, जिसने देश के ऊर्जा उपयोग में 57% से अधिक का योगदान दिया।


क्रिप्टोकरेंसी की किन देशों में क्या है स्थिति?
गौरव बताते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर चीन और थाइलैंड जैसे देशों में प्रतिबंध लगा हुआ है. चाइना ने जब प्रतिबंध लगाया था तो bitcoin के रेट तेजी से गिर गए थे. उसके बाद अब थाईलैंड में भी इसपर प्रतिबंध लगा दिया गया है. थाई सिक्‍योरिटी और एक्‍सचेंज कमीशन (SEC) ने क्रिप्‍टोकरेंसी और नॉन-फन्जिबल टोकन (NFTs) पर अत्‍यधिक सट्टेबाजी की चिंता जताते हुए इन पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं क्षितिज का कहना है कि हाल के हफ्तों में, चीन ने कम से कम पांच प्रांतों या क्षेत्रों में कोयला या पनबिजली से समृद्ध क्षेत्रों में परिचालन बंद करके क्रिप्टो माइनिंग पर कड़ा रुख अपनाया है. इसके पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की अपनी पर्यावरण नीति के कारण ऐसा किया है. हालांकि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लीगल किया जाएगा या बैन. इस पर सरकार ने अभी तक खुलकर कुछ नहीं कहा है.


बच्चों की पढ़ाई में कैसे मददगार है ब्लॉकचेन?
शिक्षा में ब्लॉकचेन के संभावित उपयोग के बारे में कुछ समय से अटकलें लगाई जा रही हैं. 92% शिक्षकों का कहना है कि Technology का छात्रों के सीखने और एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के तरीके पर बड़ा प्रभाव पड़ता है. सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली उन तकनीकों में से एक ब्लॉकचेन है. वॉशिंगटन डीसी की नॉन-प्रॉफिट कंपनी लर्निंग इकोनॉमी ब्लॉकचेन का इस्तेमाल कर रही है. बिटक्वाइन की ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करके यह कंपनी हुनर, पढ़ाई और काम के तजुर्बे को सुरक्षित तरीके से साझा करने का तरीका ढूंढ़ रही है.


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