खंडवा: मध्य प्रदेश विधानसभा का 33 दिवसीय (22 फरवरी से 26 मार्च तक) बजट सत्र सोमवार से शुरू हो गया. सत्र की शुरुआत में रीवा के देवतालाब से भाजपा विधायक गिरीश गौतम को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया. वह इस पद के लिए निर्विरोध चुने गए. इसके बाद राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का अभिभाषण हुआ. राज्यपाल के अभिभाषण समाप्त करने के बाद विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11बजे त क के लिए स्थगित कर दी गई. 


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प्रोजेक्ट में करीब 3000 करोड़ का निवेश
राज्यपाल ने अभिभाषण में यह जानकारी दी कि विश्व बैंक ओंकारेश्वर में सोलर प्रोजेक्ट के लिए सर्वे करा रहा है, जो बनकर तैयार होने के ​बाद दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना होगी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह एक फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट होगा, जो मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध के जलाशय में बनेगा. 600 मेगावॉट के इस प्रोजेक्ट में 3000 करोड़ रुपए के इंवेस्टमेंट की उम्मीद है.


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पहले चरण के सर्वे का कार्य पूरा हो चुका
इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन, वर्ल्ड बैंक और पॉवर ग्रिड ने दुनिया के इस सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट के विकास में सहयोग के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है. प्रोजेक्ट के लिए फर्स्ट फिजिबिलिटी स्टडी (Feasibility Study) विश्व बैंक के सहयोग से पूरा हो गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत साल 2022-23 तक बिजली उत्पादन शुरू हो जाने की संभावना है.


जानिए फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट की खासियत 
मध्य प्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग ने बीते जनवरी में बताया था कि पॉवर ग्रिड द्वारा प्रोजेक्ट एरिया से खंडवा सब-स्टेशन तक ट्रांसमिशन लाईन रूट सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया था, जो अब समाप्ति के करीब है. इस प्रोजेक्ट के कारण क्षेत्र के पर्यावरण और सामाज पर पड़ने वाले प्रभाव संबंधी अध्ययन के लिए भी टेंडर जारी किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश पॉवर मेनेजमेंट कंपनी द्वारा प्रोजेक्ट से 400 मेगावॉट बिजली खरीदने की सहमति दी जा चुकी है.


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अनुमान है कि 2 साल में प्रोजेक्ट पूरा होगा
इस प्रोजेक्ट के तहत ओंकारेश्वर बांध के बैकवॉटर में 600 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल तैरेंगे. अनुमान है कि 2 साल में प्रोजेक्ट से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने लगेगी. बांध के लगभग 2 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र में सोलर पैनल लगाकार बिजली का उत्पादन होगा. सोलर पैनल जलाशय में पानी की सतह पर तैरते रहेंगे. बांध का जलस्तर कम-ज्यादा होने पर सोलर पैनल स्वत: ही ऊपर-नीचे एडजस्ट होते रहेंगे. तेज लहरों और बाढ़ का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सूर्य की किरणों से निरंतर बिजली का उत्पादन होता रहेगा.


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