रामधुन के साथ निकली बंदर की अंतिम यात्रा, ग्रामीणों ने बेटे की तरह दी अंतिम विदाई
राजगढ़ जिले के राजपुरा गांव में एक बंदर का अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज से किया गया. पूरे गांव ने बंदर को नम आंखों से अंतिम विदाई दी.
राजगढ़ः इंसानों और जानवरों के बीच लगाव की कई कहानियां आपने सुनी होंगी. कुछ ऐसी ही कहानी राजगढ़ जिले के राजपुरा गांव से सामने आयी है. जहां एक बंदर की मौत पर पूरा गांव रोया. इतना ही नहीं बंदर की मौत से दुखी लोगों ने अपने बेटे की तरह उसका अंतिम संस्कार किया. बंदर की अंतिम यात्रा पूरे गांव में से निकाली गयी. इस दौरान गांव के सभी लोगों की आंखें नम नजर आयीं.
मंदिर के आस-पास घूमता रहता था बंदर
ग्रामीणों का कहना है कि यह बंदर सालों से गांव में ही रह रहा था. आज तक कभी उसने लोगों को परेशान नहीं किया. यह बंदर तो हम गांववालों का लाड़ला था, जो हमेशा भगवान के मंदिर के पास ही रहता था. लोग इसे अपने हाथ से रोटी खिलाते थे. लेकिन बीमार होने के बाद उसने दम तोड़ दिया, इसके बाद गांव वालों ने हिंदू रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया.
रामधुन के साथ निकली बंदर की अंतिम यात्रा
ग्रामीणों ने बंदर की अर्थी बनाई, केसरिया बाना लपेटा और गुलाल उड़ाई, फिर मंदिर के पास से उसकी शव यात्रा ''रघुपति राघव राजा राम'' की रामधुन बजाकर पूरे गांव में निकाली गयी. इस दौरान पूरा गांव गमगीन नजर आया और बंदर की अंतिम यात्रा में पूरा गांव उमड़ पड़ा. लोगों ने मंत्रोच्चार के साथ गांव के श्मशान में उसका अंतिम संस्कार किया गया.
गांव भर का चहेता था बंदर
गांव के लोगों ने बताया कि यह बंदर पूरे गांव का चहेता था. लगभग गांव के हर घर से उसकी पहचान थी. वह सभी के घरों में जाता था. जैसे वह हर घर का सदस्य हो. राजपुरा गांव के लोग इस बंदर को बहुत चाहते थे. पूरे गांव का लगाव बंदर से हो गया था. यही वजह रही की जब बंदर की मौत हुई तो गांव के लोगों ने उसका अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज से किया.
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