राजाओं के लाख जतन के बाद भी नहीं हिला शिवलिंग, इसलिए नाम पड़ा अचलेश्वर!

Mahendra Bhargava
Aug 04, 2024

अचलेश्वर महादेव मंदिर

अचलेश्वर महादेव मंदिर ग्वालियर शहर के बीचों-बीच स्थित प्राचीन शिव मंदिर है.

इतिहास

इस मंदिर का इतिहास 750 पुराना बताया जाता है, सावन और शिवरात्रि पर यहां भक्तों की भीड़ रहती है.

भाग्य

मान्यता है कि मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने वाली की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. भाग्य चमक जाता है.

खासियत

यह मंदिर सड़क के बीच में स्थित है, जो इसे अनोखा बनाता है. मंदिर भी रोड के बिल्कुल बीचों-बीच बना हुआ है.

शिवलिंग हटाना चाहते थे राजा

सिंधिया राजवंश के शासन के वक्त शाही सवारी निकलती थी तो शिवलिंग बीच में बाधा बनता था इसलिए हटाने की ठानी.

प्रयास

कहा जाता है कि सिंधिया राजवंश ने शिवलिंग को हटाने के लिए गहरी खुदाई करवाई, लेकिन शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला.

हाथियों का सहारा

राजाओं ने शिवलिंग को रास्ते से हटाने के लिए हाथियों और लोहे की जंजीरों का इस्तेमाल भी किया, लेकिन शिवलिंग नहीं हिला.

सपना

राजा ने एक सपना देखा, जिसमें भगवान शिव ने उनसे कहा "मैं अचल हूं. मुझे हटाने की कोशिश मत करो"

फिर बना मंदिर

इस दिव्य संदेश के बाद सिंधिया राजवंश ने शिवलिंग के चारों ओर एक भव्य मंदिर बनाने का निर्णय किया.

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