आदिवासी जोड़ी झिटकू-मिटकी की अमर प्रेम कहानी, आज देवताओं के रूप में होती है पूजा

सुकलदाई

सुकल की मुलाकात सुकलदाई नाम की युवती से एक मेले में हुई थी.

पहली नजर

पहली नजर में ही दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी का फैसला लिया.

सुकलदाई के भाई इस शादी के लिए राजी नहीं थे, पर सुकल ने मना कर शादी कर ली. लेकिन वह प्रेम ही क्या जो पूरा हो जाए

बलि

कुछ साल बाद गांव में अकाल पड़ा और एक तांत्रिक ने बलि देने का एलान किया.

सकुलदाई के भाइयों ने सोचा की अगर वो सकुलदाई के पति सकुल की बलि देते हैं तो गांव में उनका मान बढ़ जाएगा.

सुकल की हत्या

सकुलदाई के भाइयों ने सुकल की हत्या कर दी और गांव में तेज बारिश भी हुई.

सुकलदाई ने जान दी

अपने पती की सीर कटी लाश देखकर सुकलदाई ने तालाब में कूदकर जान दे दी.

सुकल को खोड़ीया देव और सुकलदाई को गपादाई( (बांस की एक किस्म की टोकरी) के नाम से जाना जाता है.

गपादाई मिटकी को ग्रामीण आराध्य देवी के नाम से पूजते हैं और झिटकु मिटकी के नाम से मंडई मेला का आयोजन होता है.

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