4 अप्रैल 1889 MP के बाबई गांव में नंदलाल चतुर्वेदी के घर माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म हुआ था.
माखनलाल चतुर्वेदी को घर में ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती और अंग्रेजी भाषा सीखने को मिली.
अध्यापन कार्य के बाद उन्होंने खंडवा से ‘कर्मवीर’ नामक साप्ताहिक पत्र निकाला. इसमें उनके विचार भी सामने आए.
वास्तव में देशभक्ति का पथ, बलिदान का पथ ही ईश्वर भक्ति का पथ है
पत्रकार की कलम न रुकनी चाहिए, न झुकनी चाहिए, न अटकनी चाहिए और न ही भटकनी चाहिए.
हमारा पथ वही होगा जिसपर सारा संसार सुगमता से जा सके.
बिना जिम्मेदारी के बड़प्पन मूल्यहीन है. वो बड़प्पन मिट्टी के मोल है जो अपनी जिम्मेदारी के बिना मिले.